धर्मशाला। श्रीलंका के खिलाफ 3 मैच की वनडे सीरीज के पहले मैच में भारत को 7 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम सिर्फ 112 रन बनाकर ऑलआउट हो गई जिसके जवाब में श्रीलंका ने 176 गेंद शेष रहते 20.4 ओवर में विजय प्राप्त कर ली। यह शेष बची हुई गेंदों के लिहाज से घरेलू धरती पर भारत की सबसे बड़ी हार थी। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम एक समय 29 रन पर 7 विकेट गँवा चुकी थी। इसके बाद पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने 87 गेंद में 65 रन की जुझारू खेलकर टीम की इज्जत ज़रूर बचा ली। धोनी के अलावा कोई और बल्ल्लेबाज टिककर नहीं खेल पाया। इस मैच में टीम की हार के कई कारण रहे आइए आगे इनपर विस्तार से चर्चा करते हैं।
बल्लेबाजी क्रम में कोहली की कमी
इस सीरीज के लिए टीम के नियमित कप्तान विराट कोहली ने आराम लिया है। वह लम्बे समय से भारतीय बल्लेबाजी क्रम की रीढ़ रहे हैं। इस साल वनडे में सर्वाधिक रन बनाने वाले विराट कोहली के बिना भारतीय बल्लेबाजी क्रम काफी कमजोर नजर आया और इसका उदाहरण पहले वनडे में देखने को मिल गया। भारतीय बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के बाद कई दर्शकों ने हास्यास्पद टिप्पणी करते हुए कहा की शायद सभी खिलाड़ियों को विराट की शादी में शामिल होने की जल्दी है।
अजिंक्य रहाणे को नहीं खिलाना रहा हैरानी भरा फैसला
विराट कोहली की गैरमौजूदगी में अजिंक्य रहाणे को नहीं खिलाने का टीम मैनेजमेंट का निर्णय काफी आश्चर्यजनक रहा। धर्मशाला में जिस तरह से गेंद हरकत कर रही थी, ऐसे में अजिंक्य रहाणे जैसे तकनीकी रूप से सक्षम बल्लेबाज का टीम में होना जरुरी था।
मध्यक्रम फिर हुआ उजागर
भारतीय मध्यक्रम में से युवराज सिंह और सुरेश रैना की अनुपस्थिति में कई खिलाड़ियों को अब तक मौका दिया गया है लेकिन कोई भी अपनी जगह पक्की नहीं कर पाया है। केदार जाधव चोट के कारण पहले ही इस सीरीज से बाहर हो चुके हैं। मनीष पांडे ने इस मैच में एक बार अपने आप को साबित करने का मौका गँवा दिया। जनवरी 2016 में ऑस्ट्रेलियाई धरती पर 104 रन की पारी खेलकर विश्वास जगाने वाले पांडे का बल्ला काफी समय से खामोश है। उन्होंने उस यादगार पारी के पाद अगले 11 मैचों में सिर्फ 1 अर्द्धशतक लगाया है। वह हाल ही में रणजी ट्राफी में 238 और 108 रन की विशाल पारियां खेलकर आए हैं। हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में पैर ज़माने में वह बार बार विफल हो रहे हैं। 28 साल के हो चुके मनीष पांडे को प्रतिभा के दुरुपयोग का जीता जागता उदाहरण माना जा सकता है। मध्यक्रम में दिनेश कार्तिक के प्रदर्शन में भी नियमितता की कमी साफ़ दिखी है।
पिच को समझने में हुई गलती
भारत ने इस मैच में हार्दिक पांड्या को पांचवे गेंदबाज के रूप में खिलाया था। उन्होंने अपने 5 ओवर में 39 रन लुटा दिए जिससे पांचवे विशेषज्ञ गेंदबाज की कमी साफ़ दिखाई दी। इसके अलावा तेज गेंदबाजों को मदद देने वाली इस पिच में भारत सिद्धार्थ कॉल को तीसरे तेज गेंदबाज के रूप में मौका दे सकता था। इसके बजाय टीम मैनेजमेंट ने 2 स्पिनर खिलाए जो की समझ से परे रहा।
बुमराह की नो बॉल पड़ गई भारी
जब भारत 112 रन के छोटे स्कोर को बचाने के लिए उतरा तो उसे शुरूआती विकेटों की जरूरत थी। बुमराह ने सिर्फ 7 रन के स्कोर पर गुनाथिल्का के रूप में पहला विकेट लेकर इसकी शुरुआत भी कर दी थी। इसके बाद उन्होंने उपल थरंगा को भी आउट कर दिया लेकिन यह गेंद नो बॉल रही। थरंगा ने 49 रन की पारी खेल अपने आप को मिले मौके का पूरा फायदा उठाया। दक्षिण अफ्रीका की आगामी सीरीज में उछाल लेती पिचों पर भारतीय बल्लेबाजों की क्या हालत होने वाली है, इसकी बानगी धर्मशाला वनडे में पेश हो गई है। उम्मीद है की टीम इन गलतियों को सुधारते हुए उन परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को तैयार करने में सफल होंगे।
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