लेकिन 1 साल में करियर हुआ खत्म
दहिया को 3 अक्तूबर 2000 को केन्या के खिलाफ वनडे मैच खेलने का माैका मिला था। इसी मैच में जहीर-युवराज ने भी वनडे करियर की शुरूआत की थी। दहिया पर सबकी नजरें थीं, क्योंकि उस समय नयन मोगिया के हटने से टीम को एक विकेटकीपर की जरूरत थी। सबको उम्मीद थी कि विजय दहिया यह कमी पूरी करेंगे। लिहाजा दहिया को टीम मैनेजमेंट ने माैका दिया। विजय को एक के बाद कई माैके खुद को साबित करने के मिले। यहां तक कि उन्हें टेस्ट में भी आजमाया गया, लेकिन वह प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। एक तरफ जहां जहीर-युवराज ने अपना करियर लंबा खींचने के लिए लगातार दमदार खेल दिखाया तो वहीं विजय दहिया का करियर 1 साल के में ही खत्म होता दिखा।
फिर चमके धोनी
विजय दहिया के पास माैका था कि वो अपनी जगह बताैर विकेटकीपर पक्की करें, परंतु वह चूक गए। उनके विफल होने के बाद टीम मैनेजमेंट लगातार एक विकेटकीपर की तलाश में रहा। फिर पीयूष चावला आए, दिनेश कार्तिक भी। लेकिन अंत में मैनेजमेंट को कोई लुभा सका था तो वो महेंद्र सिंह धोनी ही थे। विकेटकीपर की तलाश धोनी के रूप में दिसंबर 2004 को पूरी हुई। धोनी ने मिले माैकों पर ना सिर्फ शानदार विकेटकीपिंग की, बल्कि बल्ले से रनों की बरसात करते हुए भी सबको मोह लिया। परिणाम यह रहा कि धोनी ने बहुत ही कम समय में बताैर विकेटकीपर कब्जा जमाया, बल्कि टीम के तीनों फाॅर्मेट की कप्तानी भी संभाल ली।
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ऐसा रहा दहिया का प्रदर्शन
विजय दहिया ने भारत के लिए 2 टेस्ट, 19 वनडे मैच खेले हैं। नवंबर 2000 में जिम्बाव्बे के खिलाफ दहिया को 2 टेस्ट खेलने का माैका मिला था। इस दाैरान उन्हें एक बार बल्लेबाजी करने का अवसर भी मिला, लेकिन वह 2 रन ही बना सके। वहीं वनडे में उन्होंने 15 पारियों में 216 रन बनाए। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 51 रहा। दहिया ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 3 अक्तूबर 2000 को, जबकि आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच वनडे के रूप में 6 अप्रैल 2001 को आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। इस तरह दहिया का क्रिकेट करियर महज 6 महीने ही चला। वहीं उनके प्रथम श्रेणी मैच की बात करें तो उन्होंने 84 मैचों में 3532 रन बनाए हैं। वहीं लिस्ट ए क्रिकेट में खेले 83 मैचों में 1389 रन बनाए।