Sunil Gavaskar : नई दिल्ली। चोटों के कारण अपने सभी फ्रंटलाइन गेंदबाजों को खोने के बाद, भारत (India) ने दूसरे कड़े गेंदबाजी आक्रमण की शुरुआत की जब उन्होंने शुक्रवार (15 जनवरी) को गाबा, ब्रिस्बेन में चौथे और अंतिम टेस्ट के लिए मैदान पर प्लेइंग इलेवन उतारी। आर अश्विन, जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah), रवींद्र जडेजा, उमेश यादव और मोहम्मद शमी के चोटिल होने से आखिरी टेस्ट में उन गेंदबाजों को माैका मिला जिनके पास कम अनुभव था। लेकिन नए गेंदबाजों ने भी दम दिखाते हुए आस्ट्रेलिया की पहली पारी के 5 विकेट 213 रनों पर गिरा दिए, पर अंतिम 5 विकेट लेने के लिए उन्हें पसीना बहाना पड़ा। पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज सुनील गावस्कर इससे निराश दिखे। उन्होंने कहा कि भारतीय गेंदबाज आखिरी 5 विकेट लेने में नाकाम रहती है, उनकी ये कमी 1932 से चलती आ रही है।
गावस्कर ने कहा, "भारतीय गेंदबाजों को पहले पांच विकेट मिलते हैं, लेकिन वे आखिरी पांच विकेट हासिल करने के लिए संघर्ष करते हैं। उन्होंने पहले दिन का खेल समाप्त होने के बाद सोनी स्पोर्ट्स नेटवर्क पर कहा, "कम से कम चाय के समय तक भारत खेल को नियंत्रित कर रहा था। अगर वह एक-दो विकेट और चटका लेते तो आप कह सकते थे कि यह दिन भारत के नाम रहा। भारत के पास बहुत अच्छा मौका था ऑस्ट्रेलिया को सस्ते में आउट करने का। लेकिन कैमरून ग्रीन व टिम पेन की साझेदारी ने ऑस्ट्रेलिया के नाम कर दिया।।''
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उन्होंने आगे कहा, "यह साल 1932 से चलता आ रहा है जब भारतीय गेंदबाज आखिरी 5 विकेट लेने में नाकाम दिखते हैं। साल 1932 में जब भारत ने अपना पहला मैच इंग्लैंड में खेला था तो गेंदबाजों ने पहले पांच बल्लेबाजों को जल्दी आउट कर दिया था, लेकिन अंतिम पांच बल्लेबाजों ने बहुत अधिक रन जोड़ दिए थे। इसलिए यह भारतीय क्रिकेट की कहानी रही है।'' हालांकि, गावस्कर ने अपने अहम गेंदबाजों के बिना खेल रही भारतीय टीम की गेंदबाजी की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि इंडियन अटैक ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया। अगर आप शार्दुल ठाकुर को देखेंगे तो उन्होंने अपने पहले टेस्ट में मुश्किल से ही दर्जन भर गेंद फेंकी रही होगी, नवदीप सैनी ने सिर्फ एक मैच खेला है और इसी तरह मोहम्मद सिराज, टी नटराजन और वॉशिंगटन सुंदर अपना पहला मैच खेल रहे हैं, तो इन सभी द्वारा ली गई पहली पांच विकेट आपको बताती है कि वह अपने टास्क को लेकर कितना समर्पित हैं।'