21 साल की उम्र में इश्क हुआ था
बता दें कि सुनील गावस्कर एकमात्र भारतीय बल्लेबाज हैं जिन्होंने अपनी डेब्यू सीरीज में 774 रन बनाए हैं। 50 साल के अपने अनुभव के बारे में सुनील गावस्कर ने कहा कि 50 साल हो गए, लेकिन ऐसा लगता है कि यह कल की ही बात है। पहली बार घर से इतनी दूर जाना, जिन नामों को सिर्फ कॉमेंट्री बॉक्स में सुना, उनके साथ खेलना सपने जैसा था। लेकिन 21 की उम्र में डर कहां लगता है, इस उम्र में तो इश्क होता है और मेरा इश्क था क्रिकेट। खुशियां भी थीं और दर्द भी था, इन 50 साल की यादें बेशुमार है, लॉर्डर्स में वर्ल्ड कप की ट्रॉफी उठाना मेरे लिए सबसे यादगार है। मेरे इश्क से पूरे देश को प्यार हो गया, इन सालों में नाम और मान देने के लिए भारतीय क्रिकेट और फैंस का मैं तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।
ऐसा लगता है कि कल की ही बात है
सुनील गावस्कर ने कहा कि विश्वास भी नहीं होता है कि 50 साल पूरे हुए हैं, ऐसा लगता है कि कल ही बताया गया था कि आप भारत के लिए खेलने वाले हैं, ऐसा लगता है कि जो कैप, ब्लेजर वगैरह दी गई थी वो कल की ही बात है। गावस्कर ने कहा कि मैंने तय किया था जबतक मैं भारत के लिए नहीं खेलता इस कैप को नहीं पहनूंगा। जब मेरे कप्तान अजीत वाडेकर ने बोला कि आप खेलने वाले हैं तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। गावस्कर ने कहा कि जब हम छोटे थे तो स्कूल जाते थे ऐसे में पांच दिन चलने वाले टेस्ट मैच को मैदान में देखने जाना संभव नहीं था, हम एक या दो दिन ही देखने जा पाते थे, लेकिन फिर पांच दिन इस मैच को खेलना अपने आप में अलग अनुभव है।
मैं अपने हीरो को दूर से देखता था
गावस्कर ने कहा कि हर बच्चे का सपना होता है, वो जब पूरा हुआ तो बहुत ही अच्छा लगा। जब मैं मुंबई के लिए खेलता था तो अजीत मेरे कप्तान थे, वो मेरे अंकल जैसे थे, उन्होंने मुझे बहुत संभाला, बहुत अच्छी तरह से समझाया, उन्होंने कहा कि आपको मौका मिलेगा, आपको रन बनाना है। दिलीप सरदेसाई ने भी मुझे बहुतबहुत प्रोत्साहन दिया। एमएन नरसिम्हा मेरे हीरो थे, आप अपने हीरो को दूर से देखते हैं, कैसा है, वो क्या करते हैं, मैं उन्हें टीम मीटिंग में दूर से देखता था। सलीम दुर्रानी को मैं अंकल कहता था, इन लोगों के साथ खेलकर बहुत मजा आया।
1983 में विश्वकप उठाना सबसे यादगार पल
अपने सबसे सबसे यादगार पल के बारे में गावस्कर ने कहा कि मेरे लिए सबसे यादगार पल 1983 का था, जब हमने वर्ल्ड कप जीता था, उससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता है। जब आप ये करते हैं तो ऐसा लगता है कि आपने कुछ अलग किया है। अपने करियर के सबसे अच्छे शतक के बारे में गावस्कर ने कहा कि अगर मेरे सबसे पसंदीदा शतक की बात करें तो मेरी पांचवी सेंचुरी थी, वो मेरे लिए बसे यादगार है। पहले 4 शतक पहली ही सीरीज में हुई थी, फिर मैं 3 साल तक ऐसा नहीं कर सका और खुद पर संदेह करने लगा। मैंने पांचवी सेंचुरी मैनचेस्टर की पिच पर बनाई, वो स्ट्रगल वाली सेंचुरी थी।
प्यार पैसे से नहीं कमाया जा सकता है
लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए गावस्कर ने कहा कि मैं तो सिर्फ ये कहता हूं कि ये तो ऊपर वाले की दुआ है, उसकी वजह से लोगों का प्यार मिलता है, वो प्यार कितना भी पैसा खर्च करके नहीं मिल सकता है, मैं उसी से खुश हूं, जिन युवाओं ने मुझे कभी खेलते हुए नहीं देखा और उन्होंने मुझे सिर्फ कमेंट्री करते हुए देखा, जब वो अपना प्यार दर्शाते हैं तो बहुत ही अच्छा लगता है। अगर आपके पास अपने लोगों का प्यार नहीं होता है तो वो जीना ठीक नहीं है। मै भाग्यशाली हूं कि 50 सालों से भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने मुझे प्यार दिया है।
क्रिकेट से हमे टीम स्पिरिट सिखाता है
गावस्कर ने कहा कि क्रिकेट हमे बहुत कुछ सिखाता है। क्रिकेट की खूबी होती है, जहां पर आपको पता होता है कि किसी दिन आप शीर्ष पर होते हैं और कभी नीचे होते हैं, बैटिंग में कभी आप शतक लगाते हैं तो कभी शून्य पर आउट होते हैं, ऐसे ही गेंदबाजी में कभी आप पांच विकेट लेते हैं और कभी आपकी पिटाई होती है, क्रिकेट आपको सिखाता है कि जीवन में ऊतार-चढ़ाव आता है, हमे यह सीखना चाहिए कि मैं अकेला रन नहीं बनाता हूं, दूसरे छोर से मदद मिलती है, ऐसे ही गेंदबाजी में बाकी टीम के सहयोग से विकेट मिलता है। लिहाजा हमे समाज में हर किसी के साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए।