नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने अपने शानदार करियर में भारत के लिये 10 हजार से ज्यादा टेस्ट रन बनाने का काम किया तो वहीं पर एक कॉमेंटेटर के रूप में भी फैन्स के बीच अपना एक अलग नाम कमाया। गावस्कर ने अपनी जिम्मेदारी को स्टाइल और नजाकत दोनों से निभाकर दिखाया कि उनके अंदर कितना टैलेंट जो वो युवा खिलाड़ियों को दे सकते हैं। सुनील गावस्कर ने अपने करियर में कई चीजें कि लेकिन एक चीज ने सभी को हैरान कर दिया कि उन्होंने अब तक भारतीय टीम के हेड कोच के रूप में कभी काम क्यों नहीं किया।
उनकी टीम के पूर्व साथी बिशन सिंह बेदी, अजीत वाडेकर, संदीप पाटिल और मदन लाल ने भी भारतीय टीम की कोचिंग की लेकिन गावस्कर ने कभी इसके लिये वॉलंटियर नहीं किया। कॉमेंट्री के अलावा सुनील गावस्कर कई पब्लिकेशन हाउस के लिये कॉलमनिस्ट के तौर पर भी काम करते हैं। इस बीच जब लिटिल मास्टर से कोचिंग को लेकर सवाल किया गया कि आखिर वो क्यों इस जॉब को लेकर रूचि नहीं दिखाते हैं तो उन्होंने सीधा सा जवाब दिया।
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द एनालिस्ट यूट्यूब चैनल से बात करते हुए गावस्वकर ने कहा,'मैं हमेशा से क्रिकेट का खराब दर्शक रहा हूं फिर चाहे वो तब का समय रहा हो जब मैं खेलता था। अगर मैं बाहर जाकर मैच देखता हूं तो काफी जुनून से देखता हूं। मैं थोड़ी देर मैच देखूंगा और फिर चेंज रूम में जाकर कुछ पढ़ने लगता या फिर खतों का जवाब लिखता और फिर से बाहर आकर मैच देखता। मैं बॉल बाय बॉल मैच देखने वाला दर्शक नहीं हूं। और अगर आप कोच और चयनकर्ता बनना चाहते हैं तो आपको बॉल बाय बॉल दर्शक होना चाहिये। यही कारण है कि मैंने कभी इसके बारे में नहीं सोचा कि कोच बनूं।'
गौरतलब है कि भले ही सुनील गावस्कर ने टीम के लिये फुल टाइम कोचिंग नहीं की लेकिन वह हमेशा खिलाड़ियों की मदद के लिये आगे रहे। जब भी किसी ने उनसे मदद मांगी उन्होंने आगे बढ़कर मदद की। सुनील गावस्कर भारतीय टीम के कई दिग्गजों सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण और सौरव गांगुली के प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं।
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गावस्कर ने आगे कहा,'भले ही मैंने कोचिंग नहीं की लेकिन जब भी कोई मेरे पास आया मैंने उसकी मदद की। सिर्फ मौजूदा टीम नहीं बल्कि सचिन, राहुल, गांगुली, सहवाग और लक्ष्मण भी। ऐसे में मैं उनके साथ नोट्स एक्सचेंज करके काफी खुश हूं। मेरी जो भी ऑब्जर्वेशन रही मैंंने उनके साथ बांटी। तो हां शायद कहीं न कहीं मैंने मदद की, भले ही वो फुल टाइम न हैं, क्योंकि मुझे कभी नहीं लगा कि मैं यह कर सकूंगा।'