पावरप्ले में नहीं दिखा पाए पावर
गावस्कर का मानना है कि भारतीय बल्लेबाज अपने शुरूआती दोनों मैचों में पावरप्ले के दाैरान पावर नहीं दिखा पाए। गावस्कर को लगता है कि भारत के अभियान के लिए जो खराब साबित हुआ था, वह है पावरप्ले के अंदर उनके बल्लेबाजों का ना चलना। उनका मानना है कि यह न केवल इस टूर्नामेंट में एक मुद्दा रहा है, बल्कि पिछले कुछ आईसीसी इवेंट्स में भी देखने को मिला है। गावस्कर ने स्पोर्ट्स तक पर कहा, "एक टीम में बहुत अधिक बदलाव करना सही नहीं है, क्योंकि ऐसा नहीं है कि भारत अपने सभी मैच हार गया। दो मैचों में, बल्लेबाज वह रोल नहीं निभा सके जिसकी उम्मीद थी। यही कारण है कि भारत ऐसी स्थिति में है। अब नजरिया बदलने की जरूरत है। बात यह है कि पहले 6 ओवरों में, 30-यार्ड-सर्कल के बाहर केवल 2 फील्डर हैं, भारत ने पिछले कुछ आईसीसी टूर्नामेंटों के लिए इसका फायदा नहीं उठाया है। यही वजह है कि जब भी भारत का सामना मजबूत टीम से होता है, जिनके गेंदबाज मजबूत होते हैं तो भारत स्कोर नहीं कर पाता। इसलिए इसे बदलने की जरूरत है।"
फील्डिंग करनी होगी बेहतर
इसके अलावा जो दूसरा कारण गावस्कर ने बताया वो है खराब फील्डिंग। उनको लगता है कि भारतीय फील्डरों ने उस तरीके की फील्डिंग नहीं की जैसे कि अन्य टीमों ने दिखाई। हालांकि वर्तमान में भारतीय क्रिकेट टीम शायद देश में अब तक की सबसे फिट है, लेकिन सभी उतने तेज नहीं हैं और यह एक ऐसा विभाग है जिसको लेकर गावस्कर का मानना है कि अगर भारत को आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन करना है तो उसे बेहतर होने की जरूरत है। गावस्कर ने कहा, "दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण, उनके पास ऐसे खिलाड़ी होने चाहिए जो फील्डिंग में गजब हों। जिस तरह से न्यूजीलैंड ने फील्डिंग दिखाई, रन बचाए, कैच लिए। बहुत अंतर है। यदि आप भारतीय टीम को देखें, तो 3-4 फील्डरों को छोड़कर किसी से आप रन बचाने या बाउंड्री पर गोता लगाने के लिए उम्मीद नहीं लगा सकते।"
टाॅस को नहीं माना कारण
इसके अलावा भारत की हार का कारण गावस्कर ने टाॅस को नहीं माना है। भारत ने अपना पहला मैच पाकिस्तान के हाथों 10 विकेट से गंवाया था तो न्यूजीलैंड से 8 विकेट से मैच हार गए थे। इन दोनों मैचों में कोहली टाॅस हार गए थे। माना जा रहा था कि टाॅस का साथ ना मिलने से परिणाम भारत के हित में नहीं आए, लेकिन गावस्कर ऐसा नहीं मानते हैं। गावस्कर ने कहा, ''हार का प्रमुख कारण न्यूजीलैंड और पाकिस्तान की गेंदबाजी रही जिन्होंने हमारे बल्लेबाजों को पूरी तरह से खुलकर खेलने का चांस नहीं दिया। यदि अफगानिस्तान की ही तरह हमारी बल्लेबाजी इन दोनों टीमों के खिलाफ भी देखने को मिलती और 200 से अधिक रन बनते तो फिर ओस से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि फिर डिफेंड करने के लिए 30-40 एक्स्ट्रा रन होते। पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ भारतीय टीम उतने रन ही नहीं बना पाई जिसे हमारे गेंदबाज डिफेंड कर सकें।