नई दिल्ली। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के केस में फंसकर आजीवन प्रतिबंध झेलने वाले भारत के पूर्व तेज गेंदबाज एस श्रीसंत को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। श्रीसंत ने बीसीसीआई द्वारा उनके ऊपर लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी थी जिसकी सुनवाई करते हुए इस तेज गेंदबाज के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने श्रीसंत के केस की सुनवाई करते हुए बीसीसीआई को आदेश दिया है कि वह इस तेज गेंदबाज की याचिका पर तीन माह के अंदर पुर्नविचार करे। यह फैसला सुप्रीम की जिस बेंच ने सुनाया है उसकी अध्यक्षता जस्टिस अशोक भूषण कर रहे थे। इस बेंच ने बीसीसीआई को श्रीसंत को दी गई सजा के बारे में नए सिरे से विचार करने को कहा है। इसका मतलब साफ है कि अब श्रीसंत पर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध पर बीसीसीआई को पुर्नविचार करना होगा।
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आपको बता दें कि एस श्रीसंत ने कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी बात रखते कहा था कि वह फिक्सिंग में शामिल ना होने की जिद्द पर अड़े हुए थे। श्रीसंत ने फोन पर हुई रिकॉर्डिंग का हवाला देते हुए कहा कि बीसीसीआई द्वारा उनके ऊपर लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को चुनौती दी है। श्रीसंत ने कहा, 'मेरे ऊपर गंभीर आरोप लगाए गए थे। मुझे सबसे गंभीर अपराध का दोषी ठहराया गया, लेकिन सबूत का स्तर कम से कम गंभीर अपराध वाला है।'
श्रीसंत का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील सलमान खुार्शीद ने पीठ को बताया कि प्राथमिक जांच की रिपोर्ट उन्हें नहीं दी गई। इसके जवाब में अदालत ने कहा कि उनके पास अन्य सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट पहुंची थी। खुर्शीद ने कहा कि उनके पास रिपोर्ट थी, लेकिन बीसीसीआई द्वारा उन्हें यह नहीं बताया गया था कि रिपोर्ट का कौन-सा हिस्सा उनके खिलाफ था। अदालत को बताया गया कि किसी भी स्तर पर बीसीसीआई ने उनसे यह नहीं पूछा था कि कथित सामग्री के बारे में उनका क्या कहना है, जिसमें उनके खिलाफ कथित तौर पर 10 लाख रुपए की पेशकश शामिल है।