नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद से और अजय शिर्के को सचिव पद से हटा दिया। करीब डेढ़ साल से चल रही सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया।
जानिए कड़क मिजाज अनुराग ठाकुर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें
वहीं इस मामले पर जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि यह होना था और अब यह हो गया। हमने सुप्रीम कोर्ट में इसस पहले 3 रिपोर्ट जमा की थी लेकिन अभी तक उनका पालन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बीसीसीआई और राज्यों के बोर्ड के अधिकारी उनके आदेशों का पालन करने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को अपने आदेश में कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया तो बीसीसीआई को भी इन सिफारिशों को लागू करना चाहिए था। जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि हर किसी को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि अगर एक बार सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया तो सभी को उस आदेश का पालन करना चाहिए।
जस्टिस लोढ़ा ने कहा कि कानून ने अपना काम किया है। यह फैसला क्रिकेट के खेल की जीत है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को दूसरे खेल संगठनों को भी एक मिसाल के तौर पर देखना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी से सवाल किया था कि क्या बीसीसीआई प्रमुख ने लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लागू करने के मामले में झूठ बोला है? इसका जवाब अनुराग ठाकुर के खिलाफ है। एमिकस क्यूरी ने कहा था कि अनुराग ठाकुर ने इस मामले में झूठ बोला है। बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामे में कहा था कि उन्होंने शशांक मनोहर से बतौर बीसीसीआई चेयरमैन राय मांगी थी। जबकि एमिकस क्यूरी ने अपने जवाब में बताया कि शशांक मनोहर इस बात से साफ मना कर चुके हैं। ये भी पढ़ें- लोढ़ा कमेटी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अनुराग ठाकुर को जाना चाहिए जेल