नई दिल्लीः दक्षिण अफ्रीका के स्टार विकेटकीपर-बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं। हो सकता है उन्हें टीम में जगह मिलना भी मुश्किल हो जाए। ऐसा मैदान में उनके प्रदर्शन की वजह से नहीं बल्कि मैदान के बाहर उनके अपने व्यक्तिगत रुख के चलते हो सकता है।
दरअसल आपको पता होगा दक्षिण अफ्रीका की टीम ने नस्लवाद के विरोध में स्टैंड लिया हुआ है और रंगभेद के खिलाफ वे हर मैच से पहले घुटनों के बल बैठकर इसका विरोध करते हैं। टीम ने वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में भी 'ब्लैक लाइफ मैटर' मसले पर घुटनों पर बैठकर अपना विरोध प्रदर्शन का फैसला किया था। लेकिन विकेटकीपर-बल्लेबाज क्विंटन डी कॉक इस मैच में 'व्यक्तिगत कारणों' का हवाला देते हुए नहीं खेले थे। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने ऐसा 'ब्लैक लाइफ मैटर' मामले में टीम की राय से इत्तफाक ना करते हुए खुद को अलग किया। टीम के सामूहिक निर्णय से इतर फैसला लेने को साउथ अफ्रीकी बोर्ड ने अनुशासनहीनता के तौर पर माना है और क्विंटन डी कॉक से इस मामले पर जवाब तलब किया है।
इस मैच के बाद क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) बोर्ड की बैठक हुई और शेष मैचों की शुरुआत से पहले घुटने टेककर "नस्लवाद के खिलाफ एकजुट रुख" अपनाने का फैसला किया गया। सीएसए के बयान में कहा गया है, "विश्व कप में कई अन्य टीमों ने इस मुद्दे के खिलाफ लगातार रुख अपनाया है, और बोर्ड को लगा कि सभी साउथ अफ्रीका खिलाड़ियों के लिए भी ऐसा ही करने का समय आ गया है।" सीएसए बोर्ड के अध्यक्ष लॉसन ने कहा कि नस्लवाद पर काबू पाने की प्रतिबद्धता "वह गोंद है जो टीम को एकजुट करती है।" नायडू ने कहा, "विविधता हमारे दैनिक जीवन के कई पहलुओं में अभिव्यक्ति पा सकती है और होनी चाहिए, लेकिन जब नस्लवाद के खिलाफ स्टैंड लेने की बात आती है एकजुट होना होगा।"
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अब देखना होगा डिकॉक क्या जवाब देते हैं और बोर्ड उनकी बात से कितना संतुष्ट हो पाता है।