काबुल। अफगानिस्तान इस वक्त तालिबान द्वारा देश पर कब्जा होने के बाद कठिन दौर से गुजर रहा है। इस महीने की शुरुआत में जैसे ही तालिबान शासन शुरू हुआ, अफगानिस्तान क्रिकेट पर संदेह मंडराने लगा। इसके अलावा, पाकिस्तान के खिलाफ उनकी पहली द्विपक्षीय सीरीज, जो अगले महीने खेली जाने वाली है, को भी अलग-अलग कारणों से 2022 तक धकेल दिया गया। हालांकि, एसीबी के सीईओ हामिद शिनवारी ने बार-बार आश्वासन दिया था कि देश में खेल बंद नहीं होगा।
तालिबान के सत्ता में आने के साथ पुरुष क्रिकेट जारी रहेगा लेकिन एक डर है कि महिला क्रिकेट आगे नहीं बढ़ेगा। एसीबी के पूर्व सीईओ शफीक स्टानिकजई को चिंता सता रही है कि अगर महिला क्रिकेट को रोका गया तो अफगानिस्तान आईसीसी की सदस्यता का उल्लंघन करेगा क्योंकि महिला क्रिकेट का विकास सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है। शफीक को डर है कि विश्व क्रिकेट संस्था उस मामले में अफगानिस्तान की सदस्यता रद्द कर सकती है। ऐसे में उन्होंने बयान जारी करते हुए आईसीसी से गुहार लगाई है कि वो अफगान बोर्ड का साथ ना छोड़ें।
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उन्होंने फोर्ब्स से बात करते हुए कहा, "क्रिकेट अफगानिस्तान में कभी नहीं मरेगा। यह हमारी पहचान है और हमारे खून में है। हम अंधेरे युग में वापस नहीं जाना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि आईसीसी प्रतिबद्ध रहेगा और अफगानिस्तान को नहीं छोड़ेगा। अफगानिस्तान के बिना क्रिकेट पहले जैसा नहीं होता। यह क्रिकेट का आकर्षण है, क्रिकेट का प्रिय। वह जादुई कहानी जारी रहनी चाहिए।"
बताया कैसे अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट की शुरुआत हुई थी
शफीक स्टानिकजई ने आगे बताया कि कैसे उन्हें अफगानिस्तान में महिला क्रिकेट को स्वीकार करने के बारे में लोगों को जागरूक करना था। लेकिन धीरे-धीरे स्वीकृति मिलने लगी और हालांकि प्रगति धीमी थी, कुछ प्रांतों ने महिला क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने कहा, "मेरे समय में बोर्ड पर धीमी गति से प्रगति हुई थी। अफगान समाज महिला क्रिकेट को मानने को तैयार नहीं था। हमें समाज को सिखाना था कि उन्हें महिला क्रिकेट को स्वीकार करना होगा ताकि महिलाएं घर से बाहर निकलकर क्रिकेट खेल सकें। कुछ प्रांतों ने महिला क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया।" जहां तक अफगानिस्तान का सवाल है, पाकिस्तान के खिलाफ उनकी वनडे सीरीज रद्द होने के बावजूद वे संयुक्त अरब अमीरात में खेले जाने वाले आगामी टी 20 विश्व कप में खेलने के लिए तैयार हैं।