दो गोलियां हो गईं थी आर-पार
रजा को इस टेस्ट में रिजर्व अंपायर की भूमिका निभाने के लिए अन्य मैच अधिकारियों के साथ गद्दाफी स्टेडियम जा रहे थे जब उनसे कुछ गज आगे चल रही टीम बस आतंकियों ने हमला कर दिया। हमले में 8 पुलिसकर्मी और स्थानीय नागरिक मारे गए और 6 अन्य घायल हुए थे। दो गोलियां रजा के यकृत और फेफड़ों के आर-पार निकल गईं और कोमा से बाहर आने के बाद रजा को दोबारा अपने कदमों पर चलने में छह महीने लग गए। रजा ने 2019 में साल इस घटना को लेकर कहा था, 'मेरे जख्म भर गए हैं लेकिन मैं जब भी इन्हें देखता हूं तो मुझे वह नृशंस घटना याद आ जाती है।' उन्होंने कहा, 'जब भी कोई उस घटना का जिक्र करता है तो मैं उससे आग्रह करता हूं कि मुझे उस त्रासदी की याद नहीं दिलाए।'
फिर पाकिस्तान हुआ बदनाम
इस हमले के बाद पाकिस्तान को काफी बदनामी मिली। इसके कारण पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को काफी नुकसान भी ढेलना पड़ा। नतीजा यह रहा कि अंतरराष्ट्रीय टीमों ने पाकिस्तान जाना बंद कर दिया। 2009 में भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज खेली जानी थी, लेकिन 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद भारत ने पाकिस्तान जाने से मना कर दिया था। वहीं पाकिस्तान पर आतंक को पनाह देने की बात उठने लगी, जिसके डर के मारे वहां अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने के लिए कई देशों ने साफ-साफ मना कर दिया। पाकिस्तान हालांकि प्रत्येक साल अधिक मैच अपने देश में कराने का प्रयास कर रहा है। श्रीलंका टीम पर हमले के 6 साल बाद 2015 में पाकिस्तान ने जिम्बाब्वे के रूप में पहली बार अंतरराष्ट्रीय टीम की मेजबानी की। गद्दाफी स्टेडियम में कड़ी सुरक्षा के बीच मार्च 2017 में पीएसएल फाइनल करवाया गया।
ऐसे हुआ था हमला
पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया था। पहले बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंका टीम ने पहली पारी में 606 रन बनाए। जवाब में पाकिस्तान ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक 1 विकेट के नुकसान पर 110 रन बना लिए थे। तीसरे दिन का खेल शुरू करने के लिए श्रीलंकाई खिलाड़ी होटल से बस में बैठकर गद्दाफी स्टेडियम जा रहे थे कि इसी समय 12 आतंकियों ने बस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरू कर दीं। पुलिस बल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए खिलाड़ियों को बचाने का काम किया। आतंकियों ने बस पर लाॅन्चर भी फेंका, लेकिन वह निशाना लगाने से चूक गए थे। इस हमले में महेला जयवर्धने, उपकप्तान कुमार संगाकारा समेत 6 खिलाड़ी चोटिल हो गए थे।