नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के कारण 14 अप्रैल तक लाॅकडाउन है। इस महामारी के कारण भीड़ से भरी रहने वाली सड़कें सुनसान पड़ गई हैं। लाॅकडाउन के कारण क्रिकेट से जुड़े खिलाड़ियों पर तो पड़ा लेकिन उन लोगों की भी मुश्किलें बढ़ी हैं जिनपर क्रिकेट निर्भर रहता है। जी हा, हम बात कर रहे हैं गेंद बेचने वालों की और मैदान को तैयार करने वालों की जो मैच ना हो पाने के कारण मुश्किल में पड़े हुए हैं।
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इन्हीं में से एक है मुद्दसिर खान, जो मुंबई के आजाद मैदान के बाहर बल्लों की रिपेयर करते थे अगर इस महामारी की मार नहीं पड़ती तो मुंबई का यह मैदान इस समय अनुभवी और युवा खिलाड़ियों से भरा हुआ रहता और इस समय खान कई बल्लों को सही करने में व्यस्त होकर पैसा कमा रहे होते। ये शख्स दिन में करीब 7 बल्ले ठीक करते हुए 500 रूपए कमा लेता था। लेकिन अब लाॅकडाउन के कारण बेरोजगार पड़े हैं।
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गेंद बेचकर कमाते थे अतिरिक्त पैसे
इसके अलावा मोहम्मद असद शेख आजाद मैदान के यंग मोहम्मडन क्रिकेट क्लब के ग्राउंड्समैन हैं। यह गेंद बेचकर कमाई करते थे। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार शेख और खान, दोनों दशकों से आजाद मैदान पर आने वाले नियमित सदस्य हैं। मगर अब ये दोनों ही लॉकडाउन से ठीक पहले यूपी में अपने गांव लौट गए हैं, क्योंकि मैदान में अब क्रिकेट नहीं हो रहा है। इस कारण इनकी कमाई भी नहीं हुई। वहीं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन एपेक्स काउंसिल के सदस्य नदीम मेमन के मुताबिक ग्राउंड्समैन हर महीने 8 से 12 हजार के बीच कमा लेते । पिच पर मैच करवाने के लिए यह 25 फीसदी फीस अपने पास रखते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हो पा रहा है।
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यह कहानी सिर्फ मुंबई की नहीं है। दिल्ली के द्वारका स्थित स्कूल में हरबीर क्रिकेट अकादमी चलाने वाले देवदत्त का कहना है कि अकादमी बंद होने पर भी वेतन समेत हमारा मासिक खर्च 60 से 70 हजार रुपये है। दिल्ली में ही किराए या लीज के मैदान में तीन कोचिंग सेंटर चलाने वाले सुरेंद्र डबास कहते हैं कि उन्हें एक महीने में 2 से ढाई लाख का नुकसान हो गया है।
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