1. गुल मोहम्मद-
एक ऐसे ही खिलाड़ी हैं गुल मोहम्मद जिन्होंने रणजी ट्रॉफी फाइनल मुकाबले में अपना हुनर दिखाया था जहां पर विजय हजारे, सैयद मुस्ताक अली और बड़ौदा के महाराजा जैसे खिलाड़ी खेले थे। गुल मोहम्मद ने विजय हजारे के साथ मिलकर 577 रनों की साझेदारी की थी जिसमें गुल ने अपने करियर की बेस्ट पारी खेलते हुए 319 रन बनाए थे। वह एक आलराउंडर भी थे क्योंकि बहुत अच्छी फील्डिंग भी कर लेते थे और ठीक-ठाक बैटर थे जिसके चलते उनको 1946 में इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने भारत के लिए खेलते हुए लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में इंग्लैंड के खिलाफ अपना डेब्यू किया था।
गुल ने बाद में भारत के लिए सात टेस्ट मैच और खेलें। इन आठ टेस्ट मुकाबलों के बाद वे लाहौर जाकर सेटल हो गए और 1956 में पाकिस्तान के लिए भी क्रिकेट खेला। जल्द ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया और कोचिंग और प्रशासन जैसी चीजों में अपने हाथ आजमाए।
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आमिर इलाही-
दूसरे खिलाड़ी हैं आमिर इलाही जिनका कैरियर बहुत बड़ा नहीं रहा। लेकिन वह एक लेग स्पिनर थे जिनके नाम क्रिकेट में सबसे ज्यादा उम्र तक क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों में एक होने का रिकॉर्ड भी है। उन्होंने 1947 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत के लिए अपना पहला और आखिरी मैच खेला लेकिन एक भी ओवर गेंदबाजी नहीं की।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली असफलता का मतलब यह नहीं कि वे अच्छे खिलाड़ी नहीं थे क्योंकि घरेलू क्रिकेट में भी काफी सक्रिय रहे। वास्तविकता में जिस मैच में विजय हजारे और गुल मोहम्मद के बीच में 577 रनों की साझेदारी हुई थी उसमें आमिर इलाही ने 109 रन देकर 9 विकेट चटकाए थे।
आमिर बाद में पाकिस्तान के नागरिक बन गए। उसके बाद पाकिस्तान को 1952-53 में टेस्ट मैच खेलने का दर्जा मिल गया तो आमिर को 5 मुकाबले खेलने के लिए मिले और उन्होंने यहां पर 7 विकेट चटकाए। आमिर ने 44 साल की उम्र में भारत के खिलाफ अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला था।
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अब्दुल हाफिज कारदार-
ऐसे तीसरे खिलाड़ी हैं अब्दुल हाफिज कारदार। उनका नाम 'पाकिस्तान क्रिकेट के पिता' समान है। उनको दुनिया के सबसे खतरनाक बाएं हाथ के स्पिनर में शामिल किया जाता है और उनकी बल्लेबाजी भी उतनी ही शानदार रही। अब्दुल ने आजादी से पहले इंग्लैंड के खिलाफ भारत का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन इस सीरीज में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे। आजादी के बाद वे पाकिस्तान चले गए जहां 1952 में उन्होंने पाकिस्तान का नेतृत्व किया।
पाकिस्तान के लिए डेब्यू करते हुए भारत के खिलाफ मुकाबला से शुरुआत की और आश्चर्य की बात यह है कि वे तीनों खिलाड़ी, जिन्होंने दोनों देशों का प्रतिनिधित्व किया, उस टेस्ट मैच में खेल रहे थे।
अब्दुल ने उस दौरान टेस्ट मैच खेलने वाले सभी देशों के खिलाफ पाकिस्तान का की कप्तानी की। उन्होंने 23 टेस्ट मैच खेले और बाद में एक प्रशासक बन गए। उनको महान आमिर खान इमरान खान और इंजमाम उल हक के करियर को शुरू करने का श्रेय जाता है। उनको 1958 में पाकिस्तान सरकार की ओर से 'प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस' अवार्ड भी दिया गया।