"हम लोग क्रिकेट खेलने के लिए लगातार सफर करते हैं, कभी बस से तो कभी विमान से, और अब मुझे लगता है कि मेरी मौत एक प्लेन क्रैश में होगी और मैं स्वर्ग में जाऊंगा."
मैच फिक्सिंग के दाग़ी दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोनिए ने ये बात अपनी मौत से कई साल पहले अपने बड़े भाई फ्रांस से कही थी.
फ्रांस ने मई 2012 में बीबीसी-5 को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, "क्रोनिए ने अपनी मौत एक दशक पहले ही देख ली थी."
फ्रांस ने बताया था कि एक कार हादसे के बाद क्रोनिए मजहब और ईश्वर के बहुत क़रीब हो गए थे. वो उस कार में सवार थे जिसकी टक्कर से एक छोटी लड़की की मौत हो गई थी. और इसके बाद उनमें ये बदलाव हुए.
और समय का चक्र देखिए एक जून 2002 को क्रोनिए की ये भविष्यवाणी तब सही साबित हुई, जब 1 जून 2002 को उनकी एक विमान हादसे में मौत हो गई.
फ्रांस ने बताया था, "उनके (हैंसी क्रोनिए) जीवन का एक अहम और जोखिम भरा हिस्सा था उनके भीतर का कौतुहलपन. साल दर साल क्रिकेट खेलते हुए, होटलों और एयरपोर्ट्स पर रहते हुए वो काफ़ी थक गए थे और बोर भी हो गए थे. इसी बोरियत के कारण शायद उन्होंने सोचा हो कि ये (फिक्सिंग) कुछ दिलचस्प होगा."
साल 1996 में दक्षिण अफ्रीका के भारत दौरे में क्रोनिए बोरियत का शिकार थे, ऐसा तो किसी दस्तावेज़ में दर्ज नहीं है, अलबत्ता शुरुआती ना-नुकर के बाद साल 2000 में किंग कमीशन के सामने क्रोनिए ने ये कबूल किया था, "भारत के ख़िलाफ़ तीसरे टेस्ट में भारत की जीत सुनिश्चित करने के लिए अंतिम दिन अगर उनकी टीम विकेट गंवाती है तो उन्हें 30 हज़ार डॉलर मिलेंगे."
फिर तो फिक्सिंग का ऐसा कच्चा चिट्ठा खुला कि उसकी लपेट में हर्शल गिब्स, निकी बोए समेत दक्षिण अफ्रीका के कई खिलाड़ी आए, लेकिन आजीवन प्रतिबंध सिर्फ़ क्रोनिए पर ही लगा.
हालाँकि जाँच के दौरान क्रोनिए ने अपनी ग़लती स्वीकार करते हुए कहा था कि किसी 'शैतानी ताकत' ने उनसे ये सब करवाया है.
देखते ही देखते अफ्रीका का ये 'गोल्डन ब्वॉय' कामयाबी की बुलंदियों से लुढ़ककर बदनामी के गर्त में पहुंच गया था. लेकिन इसे भुलाया नहीं जा सकता कि नब्बे के दशक में क्रोनिए दक्षिण अफ्रीका में बेहद लोकप्रिय थे और उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति नेलसन मंडेला के बाद बेहिचक दूसरे पायदान पर रखा जा सकता था.
शायद यही वजह थी कि मैच फिक्सिंग स्कैंडल के बाद आजीवन प्रतिबंधित किए गए क्रोनिए को साल 2004 में हुए एक सर्वे में भी दक्षिण अफ्रीका के सबसे महानतम शख्सियतों की सूची में 11वां स्थान मिला.
क्रोनिए की पहचान एक बेहतरीन ऑलराउंडर और चतुर कप्तान के रूप में थी. अगर उनके माथे मैच फिक्सिंग का दाग़ न लगा होता तो संभवत वो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में शुमार होते.
बतौर कप्तान उनका रिकॉर्ड देखिए. क्रोनिेए ने कुल 68 टेस्ट खेले और 53 में बतौर कप्तान मैदान में उतरे. उनके कप्तान रहते 27 टेस्ट में टीम जीती, जबकि 11 में दक्षिण अफ्रीका को शिकस्त मिली. क्रोनिए ने 138 वनडे मुक़ाबलों में दक्षिण अफ्रीका की कप्तानी की और 98 वनडे में टीम को जीत दिलाई.
यही नहीं, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को दुनिया के जिस गेंदबाज़ ने सबसे ज्यादा परेशान किया वो भी हैंसी क्रोनिए ही थे. इसे सचिन ने कई मर्तबा विभिन्न मंचों पर माना है. सचिन ने कहा कि क्रोनिए ने उन्हें इतना ज्यादा परेशान किया कि वह समझ नहीं पाते थे कि उनके ख़िलाफ़ क्या किया जाए.
मास्टर ब्लास्टर ने 'द गार्डियन' को दिए इंटरव्यू में कहा था, "ईमानदारी से कहूं तो हैंसी ने मुझे किसी अन्य गेंदबाज़ से ज्यादा परेशान किया. जब भी हम दक्षिण अफ्रीका से खेलते थे तो हैंसी मुझे हमेशा आउट करने में एलेन डोनल्ड या शॉन पोलक से आगे रहते थे. ऐसा नहीं था कि मैं उनकी गेंदों को समझ नहीं पाता था, लेकिन पता नहीं क्या था कि गेंद सीधे फील्डर के हाथों में जाती थी."
सचिन ने डरबन का मैच याद करते हुए कहा था कि उस मैच में मैंने डोनल्ड और पोलक के ख़िलाफ़ शानदार शॉट खेले थे, तभी गेंदबाज़ी परिवर्तन के बाद हैंसी आए और मैं उनकी पहली ही गेंद को फ्लिक करते हुए लेग स्लिप में कैच थमा बैठा.
केवल क्रिकेट में ही नहीं होती फ़िक्सिंग
क्रोनिए का क्रिकेट सफर
वैसल जोहानेस क्रोनिए का जन्म 25 सितंबर 1969 को दक्षिण अफ़्रीक़ा के ब्लोमफ़ोन्टेन शहर में हुआ था.
उन्होंने अप्रैल 1991 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क़दम रखा और तभी से कहा जाने लगा था कि एक न एक दिन क्रोनिए दक्षिण अफ़्रीक़ा की क्रिकेट टीम के कप्तान बनेंगे.
उन्होंने 21 वर्ष की उम्र में अपने गृह राज्य ऑरेंज फ़्री स्टेट की टीम का नेतृत्व किया था. सिर्फ़ 24 वर्ष में वे अपनी राष्ट्रीय टीम के उप कप्तान बन गए.
अपने खेल के मामले में वे एक तरह से जुनूनी थे. उनका खेल देखकर कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि उन पर पैसा लेकर क्रिकेट मैच का नतीजा पहले से ही तय करने का आरोप लगेगा.
या कभी किसी ने यह भी नहीं सोचा था कि क्रोनिए पैसे के बदले मैच की अंदरूनी सूचना सट्टेबाज़ों को मुहैया करवाते होंगे.
एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनका जीतने का रिकॉर्ड दूसरे सभी कप्तानों से ज़्यादा था.
वर्ष 1992 में दक्षिण अफ़्रीक़ा का अलगाव ख़त्म होने पर उसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलना शुरू किया और क्रोनिए ने इस मैच में हिस्सा लिया.
इसी के साथ वे दक्षिण अफ़्रीक़ी क्रिकेट के प्रतीक बन गए.
दक्षिण अफ़्रीक़ा के यूनाइटेड क्रिकेट बोर्ड के तत्कालीन प्रबंध निदेशक डॉक्टर अली बाकर ने उनकी कप्तानी की बड़ी तारीफ़ की थी.
न्यूज़ीलैंड में जब क्रोनिए के देश के क्रिकेट बोर्ड ने काले खिलाड़ियों को लेने की कोशिश की तो क्रोनिए ने कड़ी प्रतिक्रिया ज़ाहिर की थी.
उनका मानना था कि ये खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के मानदंडों पर खरे नहीं उतरते और क्रिकेट जैसे प्रतिस्पर्धी खेल में कोटा सिस्टम नहीं होना चाहिए.
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