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इरफान पठान की स्विंग से बने वो 4 रिकॉर्ड जिनको आज भी टूटने का इंतजार है

नई दिल्ली: 35 साल के इरफान पठान ने क्रिकेट के सभी फार्मेट से अपनी संन्यास की घोषणा कर दी है। यह फैसला बहुत नहीं चौंकाता क्योंकि पठान लंबे समय से टीम से बाहर चल रहे थे। उन्होंने भारत के लिए अपना अंतिम मुकाबला साल 2012 में खेला था। उन्होंने कुल मिलाकर 29 टेस्ट, 129 वनडे और टी20 इंटरनेशनल मुकाबले खेले जिसमें उनके नाम 301 विकेट रहे। 19 साल की उम्र में पठान ने एडिलेड में दिसंबर 2003 में भारत के लिए डेब्यू किया था।

पठान ने स्विंग को स्पीड से बेहतर साबित कर दिया-

पठान ने स्विंग को स्पीड से बेहतर साबित कर दिया-

पठान जब भारत के लिए शुरुआती स्टेज पर खेलने आए तो इतनी ज्याादा स्विंग कराने वाला गेंदबाज टीम इंडिया के पास नहीं था। उनकी गेंदबाजी ऐसी थी कि पाकिस्तान के वसीम अकरम से उनकी तुलना की जाने लगी। इरफान पठान की स्विंग ने उन्हें दुनिया में सबसे खतरनाक गेंदबाजों में से एक बना दिया। यह तुलना नाहक ही नहीं थी क्योंकि पठान ने इसी स्विंग के दम पर जो कारनामें आए उनको अभी तक याद किया जाता है और आगे भी किया जाएगा। अपने युवा दौर में सबसे प्रभावशाली खिलाड़ियों में शुमार पठान की स्विंग गेंदबाजी के कुछ ऐसी ही जलवों के बारे में बात करते हैं जब उनकी सांप की तरह लहराती गेंदों ने ना भूलने लायक रिकॉर्ड बना दिए।

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16 रन देकर 9 विकेट, यूथ ODI में अब तक की बेस्ट गेंदबाजी

16 रन देकर 9 विकेट, यूथ ODI में अब तक की बेस्ट गेंदबाजी

आपको यह जानकर है कि यूथ ODI में आई अब तक की बेस्ट फीगर पठान के ही नाम है। पठान ने अपने करियर के शुरुआती दौर में ही सबसे बेहतरीन दौर देखा था। उन्होंने लाहौर में हुए यूथ ODI में 16 रन देकर 9 विकेट लिए थे। जो अब तक बेस्ट आंकड़ा है। आपको बता दें कि यह वही मैच था जब पठान को दुनिया ने नोटिस किया। उस मैच में उनकी बाएं हाथ की अंदर आती स्विंग बॉल ने बांग्लादेश के बल्लेबाजों के ऊपर कहर बरपा दिया था। बताने की जरूरत नहीं की पठान उसके बाद युवा सनसनी बनकर उभरे जिनको सीधी एंट्री टीम इंडिया में मिली।

पहले ही ओवर में टेस्ट हैट्रिक लेने वाला एकलौता गेंदबाज

पहले ही ओवर में टेस्ट हैट्रिक लेने वाला एकलौता गेंदबाज

उसके बाद पठान का अगली उपलब्धि जगजाहिर है जो बहुत चर्चित है। इतनी चर्चित की पिछले साल बुमराह की हैट्रिक के बाद भी पठान का नाम चर्चाओं में था। साल 2006 की तारीख 29 जनवरी क्रिकेट प्रेमियों को याद ही होगी, जब इरफान की 'पठानगिरी' के दम पर एक टेस्ट मुकाबले में पाकिस्तान चारों खाने चित्त हो गया था। उस समय भारतीय टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए पाकिस्तान दाैरे पर थी। सीरीज का आखिरी मैच कराची में हुआ। इस मैच में भारत ने टाॅस जीता और पाकिस्तान को पहले बल्लेबाजी करने का न्याैता दिया। पहला ओवर इरफान पठान फेंकने आए और उन्होंने ओवर की आखिरी तीन गेंदों पर हैट्रिक लेकर तहलका मचा दिया।

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पहले ही टी-20 विश्व कप फाइनल में 'मैन ऑफ द मैच'

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इसके ठीक एक साल बाद यानी 2007 में पहला टी-20 विश्व कप हुआ जिसको शुरुआती स्तर पर कतई भी गंभीरता से नहीं लिया। उस समय टी-20 में विशेषज्ञ खिलाड़ी नहीं होते थे। कई बहुत बड़े नाम टेस्ट क्रिकेट को ही सर्वोपरी मानते थे। टेस्ट आज भी सबसे ऊपर है लेकिन अब सभी फार्मेट के हिसाब से अलग खिलाड़ी भी होते हैं। लेकिन 2007 टी-20 विश्व कप जैसे-जैसे आगे बढ़ा इसके मुकाबले कड़े होते गए और टीमों को समझ आ गया कि ये फार्मेट भी कम प्रतिस्पर्धी नहीं है। भारत इस कप में फाइनल में पहुंचा जहां उसने पाकिस्तान को पीटकर पहला ही टी-20 विश्व कप हासिल कर लिया था और पठान इस फाइनल मुकाबले में मैन ऑफ द मैच बने थे। उन्होंने 4 ओवर में केवल 16 रन देकर 3 विकेट लिए थे।

पर्थ में मैन ऑफ द मैच पाने वाले एकमात्र एशियाई

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इसके एक साल बाद भारत ने एक और कमाल किया जिसमें पठान ने अहम भूमिका निभाई। टीम इंडिया ने कंगारूओं का गढ़ मानी जाने वाली पर्थ की पिच पर मेजबानों को तीसरे टेस्ट में 72 रनों से मात दे दी थी। पठान ने इस मैच में अपनी ऑलराउंडर क्षमता का लोहा मनवाया था। दुनिया की सबसे तेज पिच पर पठान ने पहली पारी में 28 रन बनाए थे जबकि दूसरी पारी में उनको प्रमोट करके नंबर तीन पर भेजा गया जहां उन्होंने 46 रनों की पारी खेल दी। गेंदबाजी की बात करें तो उन्होंने पहली पारी में 2 विकेट लिए लेकिन यह दूसरी पारी में जिसमें वे सर्वश्रेष्ठ भारतीय गेंदबाज साबित हुए।

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उन्होंने 54 रन देकर 3 विकेट लिए और उनको मैन ऑफ द मैच चुना गया। ये वाका टेस्ट के इतिहास में पहला मौका था जब किसी एशियाई खिलाड़ी को मैन ऑफ द मैच चुना गया था। आज भी पठान ऐसा करने वाले एकमात्र एशियाई खिलाड़ी हैं।

Story first published: Sunday, January 5, 2020, 9:30 [IST]
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