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21वीं सदी के 5 सबसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी जो क्रिकेट में नहीं बना पाए मुकाम

नई दिल्ली: विराट कोहली जब इंटरनेशनल क्रिकेट में पैर जमा रहे थे तो उनमें कोई बहुत बेमिशाल प्रतिभा नहीं थी लेकिन यह उनकी जबरदस्त मेहनत और पैशन का नतीजा था कि वो आज के समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में एक बन गए हैं। ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने सीमित नैसर्गिक प्रतिभा होने के बावजूद अपने खेल को नए स्तर पर निखारा और वे अपने देश के महान खिलाड़ियों में शामिल हुए।

इसके ठीक विपरीत कुछ ऐसी क्रिकेट हस्तियां हुईं हैं जिन्होंने बेहद ही ज्यादा प्रतिभा होने के बावजूद उसके साथ कभी न्याय नहीं किया और वे इंटरनेशनल क्रिकेट से फिसलकर हमेशा के लिए महान खिलाड़ियों की श्रेणी से बहुत दूर हो गए हैं। हम आपके सामने ऐसे ही पांच खिलाड़ियों का जिक्र करने जा रहे हैं जो अगर अपनी प्रतिभा से न्याय कर पाते तो दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शुमार होते।

1. रॉबिन उथप्पा

1. रॉबिन उथप्पा

21 साल की उम्र में इस बल्लेबाज की सपनों सरीखी शुरुआत हुई थी जब उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ मैच जीतने वाली 86 रनों की पारी खेली। वे 2007 विश्व कप टीम में शामिल थे, 2007 के टी 20 विश्व कप अभियान में एक निरंतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी और ऑस्ट्रेलिया में भारत की ऐतिहासिक त्रिकोणीय श्रृंखला जीत के सदस्य थे।

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लेकिन बाद में उथप्पा के लापरवाही भले खेल ने उनके कभी भी भरोसेमंद खिलाड़ी के तौर पर उभरने नहीं दिया। बाद में विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के उदय के साथ, जल्द ही 2008 की गर्मियों में राष्ट्रीय टीम में उथप्पा ने अपनी जगह खो दी।

2. अजंता मेंडिस

2. अजंता मेंडिस

इस श्रीलंकाई गेंदबाज को एक ओवर में सारी गेंदें अलग तरह से फेंकने के लिए जाता था जो लेग-ब्रेक, ऑफ-ब्रेक, कैरम बॉल, फ्लिपर, टॉप-स्पिनर जैसी गेंदबाजी करते थे। और, भारत ने पहली बार इसका अनुभव किया जब अजंता मेंडिस ने 2008 एशिया कप में पदार्पण किया, जहां उन्होंने फाइनल में 6-13 के आंकड़े के साथ टीम इंडिया की बैटिंग की बखिया उधेड़ दी।

इतना ही नहीं मेंडिस में बाद में टेस्ट में भी कमाल किया और भारत को बहुत तंग किया जिसमें सचिन तेंदुलकर जैसा महान बल्लेबाज भी शामिल था।

इस स्पिनर ने अजित अगरकर के सबसे तेज 50 वनडे विकेट (19 खेल) के रिकॉर्ड को ध्वस्त करने से पहले डेब्यू टेस्ट सीरीज में सबसे अधिक विकेट (26 विकेट) लेने का रिकॉर्ड भी बनाया।

लेकिन, अधिकांश मिस्ट्री स्पिनरों की तरह ही मेंडिस का जितनी तेजी से उभार हुआ था उतनी तेजी से गिराव हुआ और रंगना हेराथ जैसे गेंदबाजों ने जब लगातार प्रदर्शन किया तो मेंडिस को हटा दिया गया। मेंडिस बाद में कभी भी अपनी लय में दिखाई नहीं दिए और बल्लेबाज उनको पढ़ना भी सीख गए थे। मेंडिस ने राष्ट्रीय टीम के लिए अपना आखिरी मैच 2005 में खेला।

3. एस श्रीसंत

3. एस श्रीसंत

श्रीसंत संभवत: भारत के सबसे सही सीम पोजिशन पर गेंद डालने वाले गेंदबाज में से एक थे और जब लय पर थे, तो वह बेस्ट बल्लेबाजी को भी ध्वस्त कर सकते थे, जैसे कि दक्षिण अफ्रीका में जोहान्सबर्ग (2006) और डरबन (2010) में किया या ऑस्ट्रेलिया (2-12) में 2007 में टी 20 विश्व कप सेमीफाइनल में किया।

लेकिन श्रीसंत की ज्यादा आक्रामकता अक्सर उन पर भारी पड़ी। उनके अनुशासन या उनकी कमी ने उनके ऑफ-फील्ड व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित किया और उनके प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई, तेज गेंदबाज को 2011 विश्व कप के बाद जल्द ही बाहर दरवाजा दिखाया गया।

और, जब आईपीएल 2013 में स्पॉट फिक्सिंग का आरोप लगाया गया था, तब उनकी वापसी की कोई संभावना नहीं थी। हाल में उनको आरोपों से मुक्त कर दिया गया है लेकिन तब तक उनकी उम्र निकल चुकी थी।

4. मोहम्मद अशरफुल

4. मोहम्मद अशरफुल

मोहम्मद अशरफुल को बांग्लादेश के शुरुआती दौर का सबसेप्रतिभाशाली बल्लेबाज माना जाता था। उनको बांग्लादेश का पहला विश्वस्तरीय बल्लेबाज कहा गया क्योंकि उनमें प्रतिभा भी इतनी ही थी लेकिन यह खिलाड़ी कभी भी उसके साथ न्याय करने को लेकर गंभीर नहीं दिखाई दिया।

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17 साल के मोहम्मद अशरफुल टेस्ट शतक लगाने वाला सबसे युवा बल्लेबाज बने थे। बांग्लादेश के प्रशंसकों ने भी सोचा कि उन्हें बांग्लादेश का सचिन तेंदुलकर मिल गया है।

लेकिन बाद में अशरफुल ने कभी भी निरंतरता नहीं दिखाई बस अपनी प्रतिभा की झलक छिटपुट रूप से दिखाते थे, जैसा कि उन्होंने 2004 में भारत के खिलाफ जब शतक लगाया या जब उन्होंने 2005 में ऑस्ट्रेलिया पर बांग्लादेश की चमत्कारिक जीत हासिल की।

अशरफुल का करियर उस समय चरमरा गया जब उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने बांग्लादेश प्रीमियर लीग (बीपीएल) के 2013 संस्करण के दौरान एक गेम गंवाने के लिए स्पॉट फिक्सिंग किया था। उन्होंने 61 टेस्ट में 24.01 की औसत से 2737 रन और 178 वनडे में 3468 में 3468 रन बनाए।

5. मोहम्मद आसिफ

5. मोहम्मद आसिफ

यह गेंदबाज पाकिस्तान का ग्लेन मैक्ग्रा साबित हो सकता था और उनसे भी आगे निकल सकता था लेकिन आसिफ के साथ भी वही दिक्कत थी भारत में श्रीसंत के साथ थी। उनमें अनुशासन की कमी थी और रवैया काफी अनिश्चित था।

आसिफ शोएब अख्तर या ब्रेट ली जैसे तूफानी तेज गेंदबाज नहीं थे, लेकिन सीम से गेंद को अंदर और बाहर घुमाने में उनकी पूरी महारत थी। उन्होंने भारत के पाकिस्तान दौरे पर वीवीएस लक्ष्मण और वीरेंद्र सहवाग जैसे बल्लेबाजों को परेशान किया और टीम इंडिया की बैटिंग की कलई खोलकर रख दी।

बिखर गया टैलेंट-

बिखर गया टैलेंट-

इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने कमाल किया लेकिन अनुशासन की कमी गंभीरता से उनको घेरे हुई थी। बीच में उनका शोएब अख्तर जैसे टीम के साथियों के साथ विवाद भी हुआ। 2010 में जब वह सलमान बट और मोहम्मद आमिर के साथ स्पॉट फिक्सिंग कांड में पकड़े गए थे तो आसिफ पर सात साल का प्रतिबंध दिया गया था।

आसिफ एशिया के अगले महान गेंदबाज होने की काबिलियत रखते थे लेकिन अफसोस की ऐसा हो नहीं सका।

Story first published: Wednesday, March 25, 2020, 19:22 [IST]
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