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उमेश यादव का खुलासा, जब कोच ने की थी बेइज्जती, ग्राउंड से कर दिया था बाहर

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव पिछले काफी समय से टीम इंडिया के सीमित ओवर्स प्रारूप का हिस्सा नहीं रहे हैं हालांकि टेस्ट क्रिकेट में वह नियमित रूप से भारत के लिये अच्छा प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। उमेश यादव ने अपने अब तक के करियर में 46 टेस्ट मैच खेलकर 144 विकेट और 75 वनडे मैचों 106 विकेट लेने का काम किया है। इस दौरान उमेश ने 7 टी20 मैच भी शिरकत की है जिसमें 9 विकेट हासिल किये हैं। लॉकडाउन के दौरान उमेश भी अन्य खिलाड़ियों की तरह इस वक्त घर पर रहकर समय बिता रहे हैं, हालांकि वह मैदान पर वापसी करने को बेकरार है।

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हाल ही में उमेश यादव ने क्रिकबज के शो 'स्पाइसी पिच' में शिरकत की और अपने जीवन से जुड़े कई अनसुने किस्सों के बारे में बताया। इस दौरान उमेश ने अपने करियर का वो वक्त भी याद किया जब चयन के लिये उन्हें नागपुर बुलाया गया था और अच्छे जूते नही होने के चलते उन्हें बेइज्जत करके मैदान से चले जाने को कहा गया था।

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समर कैंप में लगा जैसे क्रिकेट छोड़ देना चाहिये

समर कैंप में लगा जैसे क्रिकेट छोड़ देना चाहिये

उमेश यादव का करियर औसतन खिलाड़ी की तुलना में देश से शुरु हुआ था। उमेश ने नागपुर के लिये खेलने से पहले किसी भी स्तर पर BCCI से जुड़ा कोई भी मैच नहीं खेला था। इतना ही नहीं वह सिर्फ टेनिस बॉल से गेंदबाजी किया करते थे।

अपने चयन के दौरान हुए वाक्ये पर बात करते हुए उमेश ने कहा,'शुरुआती दिनों में घरेलू क्रिकेटर्स के बीच उनकी यॉर्कर की चर्चा थी और उसे ही सुनकर एक दिन सचिव ने उन्‍हें नागपुर की तरफ से जिला क्रिकेट खेलने के लिए बुलाया गया। इस बात को सुनकर मैं मान गया और पहली बार उस मैदान पर खेलने पहुंचा और आठ विकेट भी चटकाये। मेरी गेंदबाजी को देखने के बाद मुझे समर कैंप के लिये बुलाया गया। जब मैं समर कैंप पहुंचा और वहां पर जो कुछ मेरे साथ हुई उस दिन को मैं कभी नहीं भुला सकता। उस दिन ऐसा महसूस हुआ कि मुझे क्रिकेट छोड़ देनी चाहिये।'

कोच ने स्पाइक्स न होने पर की बेइज्जती

कोच ने स्पाइक्स न होने पर की बेइज्जती

उमेश ने बताया कि जब वह ट्रेनिंग के लिये समर कैंप पहुंचे को कोच ने उनके जूतों की ओर इशारा करते हुए पूछा कि उनके स्पाइक्स कहां हैं। जिस पर मुझे समझ नहीं आया क्या कहूं क्योंकि मुझे इस बात को लेकर कोई अंदाजा भी नहीं था।

उन्होंने कहा,'मेरी बात सुनकर कोच ने दुतकारते हुए कहा कि ऐसे ही आ जाते हो। पता नहीं किस किस को बुला लेते हैं यह लोग। कोच की वो बात सुनकर मुझे उस दिन ऐसा महसूस हुआ जैसे कुछ छोड़ दूं, हालांकि दोस्‍तों ने मुझे काफी समझाया और क्रिकेट खेलते रहने के लिये प्रेरित किया।'

कभी सोचा नहीं था कि लक्ष्मण-द्रविड़ के खिलाफ करूंगा गेंदबाजी

कभी सोचा नहीं था कि लक्ष्मण-द्रविड़ के खिलाफ करूंगा गेंदबाजी

उमेश ने बताया कि मेरे करियर में रणजी ट्रॉफी के लिए भी टीम के कप्‍तान ने मेरा काफी समर्थन किया। यह उनका संघर्ष ही था कि उनकी मांग के चलते मुझे रणजी टीम में जगह मिली और वहीं से मेरे करियर की शुरुआत हुई। इस दौरान उमेश ने उन दिनों को भी याद किया जब वो दलीप ट्रॉफी में राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण के खिलाफ गेंदबाजी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों के खिलाफ गेंदबाजी करूंगा।

उल्लेखनीय है कि डेब्यू से पहले उमेश यादव ने दलीप ट्रॉफी में दक्षिण क्षेत्र के लिए खेलते हुए द्रविड़ और लक्ष्मण समेत 5 विकेट झटके थे।

बचपने में थे काफी शरारती, करते थे आम की चोरी

बचपने में थे काफी शरारती, करते थे आम की चोरी

इस दौरान उमेश यादव ने बताया कि वह बचपन में काफी खुराफाती हुआ करते थे और आम के बगीचे से चोरी करते थे। उन्होंने बताया कि वह रात भर सोते नहीं थे और बगीचे में दोस्तों के साथ आम चुराने के लिये जाया करते थे।

उन्होंने कहा,' मैं बचपन में काफी खुराफाती था। इस दौरान मैं बगीचे में दोस्‍तों के साथ आम की चोरी करने जाया करता था, मैं पढ़ाई से जरूर भागता था लेकिन मेरे भी कुछ सपने थे। बड़े होने के साथ ही समझ आ गया था कि घर से पैसे नहीं मिलने वाले और मुझे खुद के लिए बैट, स्‍पाइक्‍स (क्रिकेट में पहने जाने वाला जूते) आदि भी खरीदने थे। इसके लिए मैं भयंकर धूप में कई बार एक ही दिन में तीन तीन मैच भी खेलता था। ताकि इनामी राशि से मैं जरूरत की चीजें ले सकूं।'

Story first published: Monday, June 8, 2020, 5:51 [IST]
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