नई दिल्ली। महेंद्र सिंह धोनी अपने विकेटकीपिंग ग्लव्स पर पैरा कमांडो के खास निशान 'बलिदान बैज' का इस्तेमाल आने वाले समय में करेंगे या नहीं, इसपर बीसीसीआई के सीओए चीफ विनोद राय ने अपना फैसला सुनाया है। बीसीसीआई धोनी के साथ हैं, ऐसे में विनोद ने कहा कि धोनी अपने ग्लव्स से "बलिदान बैज" नहीं हटाएंगे। हम इसके बारे में आईसीसी से भी बात करेंगे।
विनोद राय ने पीटीआई से कहा, "हमने बीसीसीआई की तरफ से आईसीसी को सुचना भेज दी है की धोनी के ग्लव्स में जो चिन्ह है उसका किसी व्यवसायिक और धर्म के सांकेतिक से कोई लेना देना नहीं है। जैसा की हम सब जानते है तो उन्हें इसकी अनुमति जल्दी ही मिल सकती है।" इसके आगे विनोद राय ने कहा कि धोनी के विकेटकीपिंग ग्लव्स पर इंडियन पैरा स्पेशल फोर्सेज से सम्बन्धित कुछ नहीं है तो वो आईसीसी के कानून के अंतर्गत आरोपी नहीं है। जहां तक पहले से अनुमति की बात है तो हम इसके लिए आईसीसी से धोनी को गलव्स के इस्तेमाल को लेकर अपील करेंगे।
क्या है धोनी के ग्लव्स पर लगा 'बलिदान बैज', जानिए इसके बारे में सब कुछ
इस बैज में 'बलिदान' शब्द को देवनागरी लिपि में लिखा गया है। यह बैज चांदी की धातु से बना होता है, जिसमें ऊपर की तरफ लाल प्लास्टिक का आयत होता है। यह बैज केवल पैरा-कमांडो द्वारा पहना जाता है। भारतीय सेना की एक स्पेशल फोर्सेज की टीम होती है जो आतंकियों से लड़ने और आतंकियों के इलाके में घुसकर उन्हें मारने में दक्ष होती है। मुश्किल ट्रेनिंग और पैराशूट से कूदकर दुश्मन के इलाके में घुसकर दुश्मन को मारने में महारत हासिल करने वाले इन सैनिकों को पैरा कमांडो कहा जाता 'बलिदान बैज' के चिह्न का इस्तेमाल हर कोई नहीं कर सकता। इसे सिर्फ पैरा कमांडो ही लगाते हैं। धोनी को 2011 में टेरीटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि से नवाजा गया था। उसके बाद साल 2015 में धोनी ने पैरा फोर्सेज के साथ बुनियादी ट्रेनिंग और फिर पैराशूट से कूदने की स्पेशल ट्रेनिंग भी पूरी की जिसके बाद धोनी को पैरा रेजिमेंट में शामिल किया गया और उन्हें ये बैज लगाने की अनुमति दी गई।