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मैं भी हुआ था भीड़ के बीच अकेला- विराट कोहली ने बताया अपने डिप्रेशन का बुरा दौर

नई दिल्लीः विराट कोहली को क्रिकेट मैदान पर काफी मजबूत इंसान माना जाता है और उनका बाहरी जीवन भी काफी स्पष्ट रहता है। आज कोहली युवाओं के रोल मॉडल हैं, भारतीय क्रिकेट का ब्रांड चेहरा हैं और एक परिपक्व व्यक्तित्व हासिल कर चुके हैं। पिता बनने के बाद उनके जीवन नजरिए में और भी गहराई आई है।

लेकिन एक समय ऐसा था जब कोहली ने खुद को डिप्रेशन की स्टेज में पाया। यह भारत का इंग्लैंड में दौरा था जब कोहली खुद को दुनिया के सबसे अकेले इंसान के रूप में देख रहे थे।

इंग्लैंड का विनाशकारी दौरा-

इंग्लैंड का विनाशकारी दौरा-

कोहली ने 2014 में इंग्लैंड का विनाशकारी दौरा किया था, पांच टेस्ट मैचों में 1, 8, 25, 0, 39, 28, 0,7, 6 और 20 के स्कोर को दर्ज किया, उनकी 10 पारियों में 13.50 की औसत आई थी जो कि तीन या इससे ज्यादा की टेस्ट सीरीज में उनका सबसे कम स्कोर था।

कोहली ने इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर निकोलस से उनकी नॉट जस्ट क्रिकेट पॉडकास्ट पर बातचीत के दौरान कहा- 'हां मैं इससे (डिप्रेशन) गुजरा हूं।'

कोहली को तब जेम्स एंडरसन ने खूब आउट किया था और भारतीय कप्तान का कहना है कि तब उनको ये फील होता था कि वे अब रन नहीं बना पाएंगे।

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'मुझे लगा जैसे में दुनिया में सबसे अकेला इंसान हूं'

'मुझे लगा जैसे में दुनिया में सबसे अकेला इंसान हूं'

कोहली ने कहा, "ये कोई अच्छी फीलिंग नहीं थी, कि आप रन करने में सक्षम नहीं हो, और मुझे लगता है कि सभी बल्लेबाजों को किसी स्टेज पर ऐसा महसूस होता होगा कि चीजें उनके कंट्रोल में नहीं हैं।"

कोहली ने इंग्लैंड के अगले दौरे पर वापसी की और उस टेस्ट सीरीज में 692 रन बनाए।

उन्होंने कहा, उनको नहीं पता चल पाता कि इस स्टेज से कैसे बाहर निकला जाए। वह वो दौर था जब मैं इससे बाहर निकलने के लिए कुछ भी नहीं कर सका था। मुझे लगा जैसे में दुनिया में सबसे अकेला इंसान हूं।

कोहली ने बताया कि लोग उनकी मदद के लिए आसपास मौजूद थे लेकिन तब भी उनको अकेले होने का अहसास होता था। उन्होंने बताया कि ऐसे समय में प्रोफेशनल मदद की जरूरत होती है।

मानसिक मुद्दों पर पेशेवर मदद की पक्ष में विराट-

मानसिक मुद्दों पर पेशेवर मदद की पक्ष में विराट-

कोहली ने कहा, "व्यक्तिगत रूप से, मेरे लिए यह एक अजीब था कि आप ग्रुप में रहकर भी अकेला महसूस करते हो। मैं यह नहीं कहूंगा कि मेरे पास ऐसे लोग नहीं थे जिनसे मैं बात कर सकता था, लेकिन कोई प्रोफेशनल मदद नहीं थी जिससे मैं बोल सकूं कि मुझ पर क्या बीत रही है और यह एक बड़ी बात है।"

भारतीय कप्तान का मानना ​​है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि वे किसी व्यक्ति के करियर को नष्ट कर सकते हैं।

कोहली ने कहा कि कोई ऐसा होना जरूरी है जिसको आप किसी भी समय अपनी बात बताएं कि मैं कैसा फील कर रहा हूं, मुझे नींद तक लेने में दिक्कत हो रही है, मुझे सुबह को उठना पसंद नहीं आता, मेरा खुद में कोई आत्मविश्वास नहीं है।

कोहली ने कहा, "बहुत से लोग लंबे समय तक इस समस्या से पीड़ित रहते हैं। यह महीनों तक चलता रहता है। यह पूरे क्रिकेट सत्र के लिए चलता है। लोग इससे बाहर नहीं निकल पाते हैं।

"मैं दृढ़ता से पेशेवर मदद की आवश्यकता महसूस करता हूं।"

Story first published: Friday, February 19, 2021, 16:01 [IST]
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