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6 भारतीय खिलाड़ी जो मैदान पर थे अंधविश्वास का शिकार, करते थे यह टोटका

नई दिल्ली। भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि एक धर्म माना जाता है। इस खेल ने कई खिलाड़ियों को भारतीय फैंस के लिए भगवान बना दिया, इतना ही नहीं फैंस अपने खिलाड़ियों की कामयाबी के लिए कभी हवन-पूजा और कभी-कभी तो अजीब-अजीब से टोटके करते नजर आते हैं, लेकिन जैसे ही यह खिलाड़ी अपने फैंस के मुताबिक प्रदर्शन करते हैं सभी की मनोकामनायें पूरी हो जाती हैं। खिलाड़ी भी फैन्स के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और अपने शानदार प्रदर्शन से न सिर्फ टीम को बल्कि खुद के लिए नाम कमाते हैं। हालांक भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई महान खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने अपने अच्छे प्रदर्शन का श्रेय मेहनत, काबिलियत के अलावा कुछ खास टोटकों को दिया।

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भारत जैसे धार्मिक विविधताओं वाले देश में इस तरह का मान्यता रखना आम बात है जहां कोई खिलाड़ी किसी खास रंग और नंबर को अपने साथ रखना पसंद करता है तो कोई अपनी पसंदीदा चीजों को साथ लेकर चलना चाहते हैं ताकि उन्हें असुरक्षित न महसूस हो और वह इन टोटकों के भरोसे अच्छा प्रदर्शन करने का विश्वास हासिल कर सकें।

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आइये एक नजर उन खिलाड़ियों पर डालते हैं जिन्होंने अपने करियर के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन इसके साथ वह इन अंधविश्वास के तरीको में भी विश्वास जताते रहे।

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)

फैंस के लिए क्रिकेट के भगवान का दर्जा हासिल करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर छोटी सी उम्र में ही गेंदबाजों के लिए काल बन गए थे। क्रिकेट इतिहास में बल्लेबाजों का लगभग हर रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले सचिन तेंदुलकर भी अंधविश्वास से अछूते नहीं रहे थे। अपने करियर के दौरान सचिन तेंदुलकर ने हमेशा एक खास तरह का पैटर्न फॉलो करते थे। सचिन हमेशा अपने बाएं पैर में पहले पैड पहनते थे,क्योंकि खेल के भगवान को लगता है कि इससे वह मैदान पर अच्छा करेंगे। इसी तरह 2011 विश्व कप से पहले सचिन ने अपना पसंदीदा बल्ला भी ठीक करवाया था जिसे वो लकी मानते थे।

विराट कोहली (Virat Kohli)

विराट कोहली (Virat Kohli)

मौजूदा समय में दुनिया के महानतम बल्लेबाजों में से एक विराट कोहली भी एक समय अपने प्रेरणा स्रोत सचिन तेंदुलकर की तरह अंधविश्वास से घिरे हुए थे। अपने करियर के शुरुआती दौर में जब विराट कोहली ने रनों का अंबार लगाने की शुरुआत की थी, तब उन्होंने जो ग्लव्स पहने थे, कोहली लंबे समय तक उन्हें ही दोहराते रहे क्योंकि उन्हें लगता था कि इन्ही ग्लव्स के दम पर उनके बल्ले से रन निकल रहे हैं। एक समय के बाद जब उन्हें यह अहसास हो गया कि उनकी प्रतिभा इस अंधविश्वास से कहीं ज्यादा ताकतवर है तो उन्होंने इससे छुटकारा पा लिया।

राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid)

राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid)

भारतीय टीम के दिग्गज बल्लेबाज और द वॉल के नाम से मशहूर राहुल द्रविड़ भी अंधविश्वास से घिरे हुए थे। मास्टर ब्लास्टर की तरह भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ भी ठीक सचिन की तरह थाईपैड बांधने में विश्वास रखते थे लेकिन वह सचिन के उलट हमेशा दाएं पैर में पहले थाईपैड पहनना पसंद करते थे। इतना ही नहीं अपने अंधविश्वास के चलते राहुल कभी भी मैच में नए बल्ले से नहीं खेलते थे।

अनिल कुंबले (Anil Kumble)

अनिल कुंबले (Anil Kumble)

सचिन और राहुल के साथी अनिल कुंबले भी अपने करियर में एक समय इससे पीछे नहीं रहे। कुंबले ने ऐतिहासिक फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट मैच की एक पारी में पूरे 10 विकेट लिए थे। इस मैच में कुंबले जब भी गेंदबाजी करने जाते थे,तो सचिन को अपनी कैप और स्वेटर देते थे। आमतौर पर गेंदबाज गेंदबाजी करने से पहले अपने सभी सामना चाहे वो कैप हो, स्वेटर हो या चश्मा, गेंदबाजी छोर पर खड़े अंपायर को देता है, लेकिन कुंबले ने उस मैच में सचिन को दिए थे।

मोहिंदर अमरनाथ (Mohinder Amarnath)

मोहिंदर अमरनाथ (Mohinder Amarnath)

अंधविश्वास में विश्वास रखने वाले खिलाड़ियों में भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी मोहिंदर अमरनाथ का किस्सा भी काफी मशहूर है। वह अपने साथ मैच के दौरान हमेशा एक 'लाल रुमाल' रखते थे। 1983 विश्व कप के फाइनल में मैन ऑफ द मैच अमरनाथ मैदान पर जब भी फील्डिंग करने जाते थे तो वह अपनी जेब में लाल रुमाल रखते थे।

मोहम्मद अजहरुद्दीन (Mohammed Azharuddin)

मोहम्मद अजहरुद्दीन (Mohammed Azharuddin)

सौरभ गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी से पहले भारत के सबसे सफल और चतुर कप्तान माने जाने वाले मोहम्मद अजहरुद्दीन भी टोटके आजमाने से पीछे नहीं रहे थे। उनके गले में डला काला ताबीज इसकी गवाही था जिसे इस दिग्गज बल्लेबाज ने कभी नहीं उतारा। फील्डिंग के दौरान कई बार अजहर को यह ताबीज चूमते हुए भी देखा जा सकता था, लेकिन खास बात यह थी कि अजहर जब भी बल्लेबाजी करने आते थे, तो वह अपने इस ताबीज को टी-शर्ट के बाहर ही रखते थे।

स्टीव वॉ (Steve Waugh)

स्टीव वॉ (Steve Waugh)

भारत रीति-रिवाजों और मान्यताओं का देश है ऐसे में यहां के कई खिलाड़ी इसी तरह के टोटकों और अंधविश्वास में भी विश्वास रखते हैं तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होती, लेकिन जब विदेशी खिलाड़ी इस तरह के टोटकों के साथ मैदान पर कदम रखते हैं तो थोड़ा अजीब जरूर लगता है।

दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाने वाले आस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ भी अमरनाथ की तरह लाल रुमाल रखकर चलते थे। स्टीव को यह रुमाल उनकी दादी ने दिया था और उन्हें लगता था कि दादी का यह आशीर्वाद उनके लिए भाग्यशाली है।

महेला जयवर्धने (Mahela Jayawardhane)

महेला जयवर्धने (Mahela Jayawardhane)

श्रीलंका के दिग्गज बल्लबाजों में शुमार माहेला जयवर्धने बल्लेबाजी करते हुए कई बार अपने बल्ले को चूमते थे। यह उनकी मान्यता का हिस्सा था। उन्हें लगता था कि यह उनके लिए अच्छा साबित होगा।

Story first published: Thursday, November 14, 2019, 18:13 [IST]
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