'विरोधी टीमों के अंदर मेरे प्रति कोई भय या सम्मान नहीं था'
स्पोर्ट्स वेब को शो में कोहली ने बताया, 'मैं मैदान में ऐसे नहीं जाना चाहता था कि विरोधी टीमों के अंदर मेरे प्रति कोई भय या सम्मान ना हो। मैं प्रभाव डालना चाहता था। मैं चाहता था कि जब मैं चलूं तो टीमों को सोचना चाहिए कि इस खिलाड़ी को कैसे आउट किया जाए।' कोहली ने आगे बताया कि वे शुरुआती स्तर पर उतना कौशल रखने वाले खिलाड़ी नहीं थे, लेकिन उस दौरान एक चीज लगातार बनी रही कि उन्होंने खुद पर निरंतर काम किया। कोहली , सचिन तेंदलुकर के कौशल को क्रिकेट में सर्वश्रेष्ठ मानते हैं। हालांकि उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय कौशल से ज्यादा कड़ी मेहनत को दिया।
फिटनेस पर कब ध्यान शुरू किया-
इसके साथ ही कोहली ने बताया कि कैसे फिटनेस उनकी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई। कोहली ने कहा, 'जब हम 2012 में ऑस्ट्रेलिया से वापस आए थे तो मैंने हममें और ऑस्ट्रेलिया के बीच काफी अंतर महसूस किया था। मैंने समझा कि अगर हम अपने खेलने, ट्रेनिंग करने और खाने के तरीके में बदलाव नहीं करते हैं तो हम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों से नहीं लड़ सकते। मैं खुद को बेस्ट बनाना चाहता था इसलिए उसी हिसाब से मेरे रवैये में भी बदलाव होता चला गया।'
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'विश्व कप में 120 प्रतिशत रहा इनर्जी लेवल'
कोहली ने यह भी बताया है कि उनकी फिटनेस की बदौलत उन्होंने विश्व कप में कैसे सहायता पाई। विश्व कप 2019 के बारे में बात करते हुए कोहली ने बताया, 'विश्व कप के प्रत्येक मैच में मेरा इनर्जी लेवल 120 प्रतिशत रहता था। मैं इतनी तेजी से रिकवर होता था कि प्रत्येक मैच में मैंने औसतन 15 किलोमीटर की दूरी तय की। मैं वापस आता और रिकवरी में लग जाता फिर दूसरे शहर में जाता और जल्द ही फिर से ट्रेनिंग के लिए तैयार रहता। '