नई दिल्ली: विश्व कप जीतने के बाद जैसे सब कुछ सही लगने लगता है उससे ठीक उल्टा हाल इस टूर्नामेंट में हारकर होता है। भारतीय क्रिकेट टीम भी विश्व कप हार के साइड इफेक्ट से बच नहीं पाई है। सेमीफाइनल की हार के बाद ना केवल विराट को हटाकर रोहित शर्मा को कप्तान बनाने की मांग जोरों से उठती दिखाई दी बल्कि रोहित और विराट के बीच दरार होने जैसी खबरें भी काफी सुर्खियों में रही। यहीं नहीं, रही-सही कसर उन खबरों ने पूरी कर दी जिनमे कहा जा रहा था कि बीसीसीआई क्रिकेट के विभिन्न प्रारूपों में अलग-अलग कप्तान उतारने की संभावना पर विचार कर रहा है।
इन घटनाओं के पीछे कोहली के नेतृत्व वाले भारतीय टीम प्रबंधन की सोच भी कम जिम्मेदार नहीं है। जिस तरह से टीम मैनेजमेंट ने सेमीफाइनल मुकाबला में धोनी को नीचे क्रम पर बैटिंग कराने का फैसला किया वह किसी के भी गले नहीं उतरा। अलग-अलग कप्तान होने का फार्मूला भारत के लिए बहुत कामयाब नहीं रहा है। इससे पहले टेस्ट क्रिकेट में अनिल कुंबले और सीमित ओवरों की क्रिकेट में धोनी कप्तान रह चुके हैं। एक समय ऐसा भी था जब कोहली टेस्ट में कप्तानी कर रहे थे और धोनी सीमित ओवरों में।
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बीसीसीआई चयन समिति के लिए ऐसे में माना जा रहा था कि शायद वह कोहली के कंधे से कुछ अतिरिक्त बोझ उतारने के लिए कदम उठाए। क्योंकि कोहली भारत के आला दर्जे के बल्लेबाज भी हैं। इसी बीच जो खबरें सामने आ रही हैं उन्होंने भारतीय टीम के दो खेमों में बंटे होने की बात को पूरी तरह से निराधार बताया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोहली ही वेस्टइंडीज में तीनों फार्मेट के कप्तान होंगे और इस बात की पुष्टी रविवार को चयनकर्ताओं की बैठक के दौरान हो जाएगी। यह बैठक वेस्टइंडीज के लिए टीम चयन के संबंध में होने जा रही है।