स्किल के आधार पर हो चयन
वीरेंद्र सहवाग ने कहा कि स्किल बहुत जरूरी है, आप अगर आज फिट टीम के साथ खेल रहे हैं लेकिन अगर आपके भीतर क्षमता नहीं है तो आप अंत में विफल हो जाएंगे। खिलाड़ियों को उनकी स्किल के आधार पर खिलाना चाहिए, इसके बाद धीरे-धीरे आप उनकी फिटनेस को बेहतर कर सकते हैं। लेकिन अगर यो-यो टेस्ट को सीधे तौर पर लागू कर दिया गया तो चीजें अलग हो सकती हैं। अगर एख खिलाड़ी 10 ओवर तक फील्डिंग कर सकता है तो वह पर्याप्त है, हमे बाकी की चीजों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
सचिन-लक्ष्मण-गागुली पास नहीं होते
सहवाग ने कहा कि मैं आपको एक चीज बताना चाहता हूं कि हम यो-यो टेस्ट की बात कर रहे हैं, हार्दिक पांड्या को दौड़ने में कोई दिक्कत नहीं है, उन्हें वर्कलोड की वजह से गेंदबाजी नहीं दी गई। लेकिन अश्विन और वरुण चक्रवर्ती की बात करें तो इन लोगों ने यो-यो टेस्ट पास नहीं किया इस वजह से वो यहां नहीं है। लेकिन मैं इन सब बातों से सहमत नहीं हूं। अगर यही पैमाना पहले होता तो सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण, सौरव गांगुली पास नहीं होते। मेरे समय में भी इस तरह का टेस्ट था, जहां ये लोग हमेशा 12.5 अंक से पीछे रहते थे।
2018 में हुआ अनिवार्य
वर्ष 2018 में बीसीसीआई ने टीम में खिलाड़ियों के चयन के लिए यो-यो चयन को अनिवार्य कर दिया था। पिछले महीने बीसीसीआई ने खिलाड़ियों के चयन के लिए अनिवार्यता को 16:1 से बढ़ाकर 17:1 कर दिया है। यही नहीं इसके साथ ही बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को ट्रायल में दो किलोमीटर की दौड़ को भी अनिवार्य किया है। रिपोर्ट के अनुसार खिलाड़ियों को या तो यो-यो टेस्ट पास करना होता है या फिर टाइम ट्रायल को पास करना होता है। बीसीसीआई ने दोनों में से कम से कम एक टेस्ट को पास करना अनिवार्य कर दिया है।
कई खिलाड़ी हुए बाहर
पिछले एक-दो साल की बात करें कई खिलाड़ियों को फिटनेस टेस्ट की वजह से टीम से बाहर कर दिया गया था। 2018 में अंबाती रायडू, संजू सैमसन, मोहम्मद शामी को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इसके अलावा हाल ही में राहुल तेवतिया और वरुण चक्रवर्ती को भी फिटनेस टेस्ट में फेल होने की वजह से टीम में जगह नहीं मिली थी। दोनों को इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज में टीम में शामिल किया गया था।