नई दिल्लीः वसीम जाफर ने उत्तराखंड क्रिकेट के हेड कोच पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि टीम चयन में हस्तक्षेप किया जाता है और यह उनके काम करने के तरीके में रुकावट डालता है। यह हस्तक्षेप 20 फरवरी से होने जा रहे विजय हजारे ट्रॉफी टूर्नामेंट से पहले डाला गया है।
उत्तराखंड की क्रिकेट एसोसिएशन ने जाफर का इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है। जाफर ने एसोसिएशन को लिखे ई-मेल में कहा, "मैं खिलाड़ियों के लिए काफी बुरा महसूस कर रहा हूं क्योंकि मुझे पता है कि उनमें काफी संभावनाएं हैं और वे मुझसे बहुत कुछ सीख सकते थे लेकिन इतनी ज्यादा दखलअंदाजी के चलते यह मौका अवसर नहीं मिला। चयनकर्ता और सचिव लोग काफी ज्यादा दखलअंदाजी चयन में करते हैं, जबकि कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो चयनित होने के हकदार भी नहीं हैं।"
उत्तराखंड की क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव महिम वर्मा ने एक सिरे से जाफर के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि जो भी पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज ने कहा, उनको वह सब दिया गया।
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वर्मा ने पीटीआई से बात करते हुए बताया, "हमने उनको वो सब दिया जो उन्होंने कहा, एक महीने पहले प्री-सेशन कैम्प कराए गए, उनको उनकी पसंद के बाहरी खिलाड़ियों को भी चुनने दिया गया, बॉलिंग कोच और ट्रेनर भी उनकी पसंद के थे, लेकिन दखलअंदाजी देने का उनका मामला कुछ ज्यादा ही हो रहा है।"
जाफर को नौकरी देने वाले लोग इस बात से भी नाखुश थे कि सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में टीम का प्रदर्शन सही नहीं था। यह नेशनल लेवल का टी20 टूर्नामेंट है।
वर्मा ने कहा कि टीम के खराब प्रदर्शन के बाद चयनकर्ता कुछ दूसरे खिलाड़ियों को ट्राई करना चाहते थे लेकिन जाफर अपनी पसंद के खिलाड़ियों को ही खिलाना चाहते थे।
बता दें कि पिछले साल मार्च में ही जाफर को यह जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने उससे पहले क्रिकेट के सभी प्रारूपों से अपने संन्यास की घोषणा कर दी थी।
जाफर ने अपने मेल में साफ लिखा है, "अगर उत्तराखंड क्रिकेट के आदरणीय सचिव इस तरह के माहौल को बढ़ावा देना चाहते हैं और मुझे टीम के भले और प्रदर्शन को लेकर कोई फैसला नहीं लेने देना चाहते तो मुझे नहीं लगता कि मेरे पास अपने काम को जारी रखने का कोई वैध कारण है।"