'पहले भी होती थी गलतियां'
राहुल द्रविड़ ने अंग्रेजी वेबसाइट THE HINDU को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि "ऐसा नहीं है कि खिलाड़ियों ने पहले कभी कोई गलती नहीं की और ऐसा भी नहीं है कि आगे कोई गलती नहीं होगी, इन सभी चीजों के बावजूद हमें युवाओं को बेहतर शिक्षा देने की जरूरत है। हमें और प्रयत्न कर उन्हें बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। इस मसले को हम सभी लोगों को आवश्यकता से अधिक तूल नहीं देना चाहिए।" द्रविड़ की कही इस बात का BCCI की प्रशासकीय समीति CoA ने भी संज्ञान लिया है।
वो शख्स जिसने राहुल द्रविड़ के टैलेंट को सबसे पहले पहचाना
खिलाड़ियों को किया जाए जागरूक
द्रविड़ ने आगे कहा कि "खिलाड़ियों को इस बात के लिए जागरूक और शिक्षित किया जाना चाहिए कि बतौर खिलाड़ी उनका व्यवहार कैसा हो और जब वह देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तो उन्हें कैसे पेश आना चाहिए। पिछले दो अंडर-19 वर्ल्ड कप में हमने अलग-अलग मुद्दों पर लेक्चर्स आयोजित करवाए थे और मनोवैज्ञानिकों को बुलवाकर खिलाड़ियों का वर्कशॉप भी करवाया था और ऐसे वर्कशॉप और ट्रेनिंग नेशनल क्रिकेट एकेडमी का भी हिस्सा हैं जहां खिलाड़ियों को उनके कुशल व्यवहार की ट्रेनिंग दी जाती है।" BCCI के क्रिकेटिंग ऑपरेशंस के मैनेजर सबा करीम ने भी बताया है कि राहुल द्रविड़ अक्सर युवा खिलाड़ियों को ऐसी ट्रेनिंग देते रहते हैं और इसे अब बाकी जगहों पर भी लागू किए जाने की तैयारी चल रही है।
कहां और कैसे हो शुरुआत
देश और दुनिया में जिस शख्सियत की कही बात को क्रिकेट में आदर्श वाक्य माना जाता है उन्होंने आगे कहा कि "हमें खिलाड़ियों के व्यवहार को बेहतर बनाने और उन्हें मांझने की जरूरत है। हम सिर्फ इस चीज की कोशिश कर सकते हैं लेकिन हम ऐसी स्थिति में बिल्कुल नहीं हैं जहां कोई भी किसी भी खिलाड़ी के बर्ताव और व्यवहार की पूर्णतया जिम्मेदारी नहीं ले सकता कि वो कैसा व्यवहार करता है। हम NCA में खिलाड़ियों को न सिर्फ एक बेहतर खिलाड़ी बल्कि कुशल व्यवहार की भी ट्रेनिंग देते हैं और यह ट्रेनिंग कई जगहों और स्तर पर हो सकती है। इसकी शुरुआत घर से हो, स्कूल में हो और फिर स्टेट लेवल के ड्रेसिंग रूम में भी ऐसी व्यवस्था की जाए जहां खिलाड़ी बेहतर व्यवहार सीख सकें"।
'सिस्टम को नहीं दे सकते गाली'
द्रविड़ ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि खिलाड़ी अलग-अलग टीमों से आते हैं, उनकी भूमिका और उत्तरदायित्व की समीक्षा होनी चाहिए। समस्याएं हमेशा रहेंगी और हमें खिलाड़ियों को शिक्षित करने की जरूरत है। उन्हें इस बात को बताने की जरूरत है कि आप सिस्टम को गाली नहीं दे सकते हैं। मैं ने कर्नाटक में अपने सीनियर से सीखा, अपने अभिभावकों से सीखा, कोच से सीखा। वे सभी लोग मेरे रोल मॉडल थे। इनमें से किसी ने बैठकर कभी मुझे लेक्चर नहीं दिया। आप एक खिलाड़ी के तौर पर अपने सीनियर से बहुत कुछ सीखते हैं और यह ड्रेसिंग रूम में सबसे अधिक होता है।
'खिलाड़ी समझें अपनी जिम्मेदारी'
द्रविड़ ने कहा कि "पहले भी घटनाएं हुई हैं, इन दिनों ऐसी चीजें अधिक हाईलाइट हो जाती हैं, मैं इस बात से सहमत हूँ कि ऐसे खिलाड़ियों को हमें और सिखाने की जरूरत है। आज की चुनौतियाँ अलग हैं, खिलाड़ियों के लिए ऑन और ऑफ द फील्ड चुनौतियां बढ़ी हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर उन्हें अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए और याद रखना चाहिए। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पहले सभी चीजें बहुत अच्छी थी और अब सभी चीजें खराब हैं।"
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