अगर फाइनल रद्द हुआ तो क्या होगा ?
विश्वकप 2019 का फाइनल रविवार, 14 जुलाई 2019 को लंदन में खेला जाएगा। फाइनल के लिए एक दिन रिजर्व रखा गया है। यानी अगर 14 जुलाई को बारिश हुई तो ये मैच 15 जुलाई को खेला जा सकता है। लेकिन अगर दो दिन तक बारिश होती रही तो फाइनल मैच रद्द कर दिया जाएगा और दोनों टीमों को संयुक्त विजेता घोषित कर दिया जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो विश्वकप में एक नया इतिहास बनेगा।
सेमीफाइनल रद्द हुआ तो क्या होगा ?
विश्वकप का पहला सेमीफाइनल मुकाबला मंगलवार, 9 जुलाई को मैनचेस्टर में खेला जाएगा। दूसरा सेमीफाइनल गुरुवार 11 जुलाई 2019 को बर्मिंघम में खेला जाएगा। इन दोनों मुकाबलों के लिए एक-एक दिन रिजर्व रखा गया है। अगर इसके बाद भी मैच रद्द होता है तो विजेता का निर्धारण लीग स्टेज में टीम के रैंक के आधार पर होगा। जो टीम लीग मुकाबलों में ऊपर की रैंक पर होगी उसे ही विजेता माना जाएगा।
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1999 और 2007 के विश्वकप में रिजर्व दिन था
1999 का विश्वकप इंग्लैंड में ही खेला गया था। इस समय बारिश को ध्यान में रखते हुए रिजर्व दिन रखा गया था। 1999 में बारिश की खलल की वजह से दो मैच दोबारा खेले गये थे। इस प्रावधान की वजह से भारत ने तब एक वर्षाबाधित मैच में इंग्लैंड को हराया था। 2007 का विश्वकप वेस्टइंडीज में खेला गया था। इसमें भी रिजर्व दिन रखा गया था। अब सवाल पूछा जा रहा है जब दो विश्वकप में रिजर्व डे का प्रवाधान रखा गया था तो 2019 में इसे क्यों नहीं लागू किया गया। आयोजकों कहना है कि लंबे शिड्यूल के कारण रिजर्व डे नहीं रखा गया है। मालूम हो कि 2007 के विश्वकप में भी 51 मैच खेले गये थे, फिर भी उसमें अधूरे मैच को अगले दिन पूरा करने का नियम रखा गया था।
2019 में रिजर्व डे नहीं रखने के लिए आयोजकों का तर्क
2019 के वर्ल्डकप में 30 जून से 6 जुलाई तक लगातार 45 दिनों तक लीग स्टेज के मैच खेले जाने हैं। अगर हर मैच के लिए एक दिन रिजर्व रखा जाता तो यह टूर्नामेंट 90 दिनों का हो जाता। यानी लीग मुकाबलों में ही तीन महीने का समय लग जाता। ज्यादा लंबा शिड्यूल होने से लोगों की इस प्रतियोगिता में रुचि खत्म हो जाती। आज तक कोई विश्वकप इतना लंबा चला भी नहीं है। इंग्लैंड में अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने के लिए जो मैदान उपलब्ध हैं उनका 45 दिनों का शिड्यूल पहले से तय है। इस लिए अचानक कोई मैच आयोजित नहीं किया जा सकता। फिर टीमों के रहने के लिए होटल और आने जाने के लिए सुविधाएं पहले से तय होती हैं। उनमें फेरबदल करने का मतलब है व्यवस्था को छिन्नभिन्न करना। इस मामले में ग्राउंड्समैन की भूमिका भी अहम है। उनका भी जिम्मेवारी भी पहले से तय होती है। वे अचानक किसी मैदान को खेलने के काबिल नहीं बना सकते। 2019 विश्वकप के आयोजकों का कहना है कि मैच शिड्यूल तय करते समय मौसम वैज्ञानिकों की सलाह और वर्षा के आंकडों पर गौर किया गया था। उस समय ऐसी बारिश का अनुमान नहीं लगाया गया था। अभी उम्मीद से परे, बेमौसम बरसात हो रही है। लेकिन इससे नुकसान तो आयोजकों को ही होगा। अगर कोई मैच पूरी तरह रद्द् हो गया या 15 ओवर से कम चला तो दर्शकों को पूरे पैसे लौटाने होंगे। वह भी 28 दिनों के अंदर।