धोनी ने ऐसे गिराया सहवाग का विकेट
2013 में धोनी और सहवाग के बीच मनमुटाव चरम पर पहुंच गया था। उस समय सहवाग की उम्र 35 साल हो गयी थी। धोनी पिछले एक साल से सहवाग को सुस्त फील्डर बता कर टीम से बाहर रखना चाहते थे। इस बात पर दोनों के बीच झगड़ा बढ़ गया था। इस नाजुक दौर में बात तब और बिगड़ गयी जब सहवाग बल्ले से नाकाम होने लगे। वे रन नहीं बना पा रहे थे। धोनी के दवाब ने उनका आत्मविश्वास और डगमगा दिया। 2013 में आस्ट्रेलिया की टीम भारत के दौरे पर आयी हुई थी। हैदराबाद में खेले गये दूसरे टेस्ट में भारत ने आस्ट्रेलिया को एक पारी 134 रनों से हरा दिया था। भारत इस मैच में जीत तो गया लेकिन सहवाग केवल 6 रन ही बना पाये थे। पहले टेस्ट में भी सहवाग फेल रहे थे। महेन्द्र सिंह धोनी तब टीम के कप्तान थे। जब तीसरे टेस्ट के लिए भारतीय टीम का एलान हुआ तो उसमें सहवाग का पत्ता साफ था। सहवाग को मीडिया से खबर मिली कि उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया है। सहवाग को लग रहा था कि दो मैचों में वे भले रन नहीं बना पाए हैं लेकिन अगले दो मैचों में वे जरूर वापसी करेंगे। धोनी या कोच ने सहवाग को बिना बताये उनकी टीम से छुट्टी कर दी। हैरानी की बात ये थी कि सहवाग ने धोनी और कोच से कहा था कि अगर वे ओपनर के तौर पर रन नहीं बना पा रहे हैं तो मिडिल ऑर्डर में एक दो- मौके दे कर देखें। लेकिन धोनी ने इसको अनसुना कर सहवाग को बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
जब धोनी और सहवाग में तू-तू, मैं-मैं हुई
2012 का टी-20 विश्वकप श्रीलंका में खेला गया था। इस प्रतियोगिता के सुपर आठ में जब भारत और आस्ट्रेलिया का मुकाबला हुआ तो धोनी ने सहवाग को टीम से बाहर कर दिया था। सहवाग की जगह इरफान पठान से ओपनिंग करायी गयी थी। भारत की बल्लेबाजी ढह गयी और 20 ओवर में केवल 140 रन बने। आस्ट्रेलिया ने केवल 14.5 ओवर में ही 141 रन बना कर मैच 9 विकेट से जीत लिया। इस मैच पहले धोनी और सहवाग में जम कर झगड़ा हुआ था। जब धोनी ने सहवाग को टीम में नहीं लेने की बात कही तो सहवाग भड़क गये। धोनी भी गुस्से में आ गये और सहवाग को कह दिया कि वे उनकी कप्तानी में जानबूझ कर खराब खेलते हैं । धोनी ने सहवाग पर तंज कसा कि अगर वे आइपीएल-5 में दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए रन बना सकते हैं तो उनकी कप्तानी में उनका गेम क्यों एवरेज हो जाता है। धोनी ने सहवाग पर इल्जाम लगाया कि वे खराब खेल कर उनकी कप्तानी छीनना चाहते हैं। इस झगड़े के बाद बीसीसीआई के अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
2012 में आस्ट्रेलिया दौरे पर भी हुई थी लड़ाई
धोनी ने 2012 में आस्ट्रेलिया दौरे पर वीरेन्द्र सहवाग ही नहीं सचिन और गौतम गंभीर की फील्डिंग पर सवाल उठाया था। तब धोनी कप्तान और सहवाग उपकप्तान थे। धोनी ने इन तीनों खिलाड़ियों को एक साथ नहीं खेलाने की बात कही थी। उन्होंने तीनों को अलग-अलग मैच में रोटेट कर मौका देने की बात कही थी। धोनी के इस प्रस्ताव पर बवाल हो गया। सहवाग और धोनी में ठन गयी। सहवाग ने कहा कि उन्हें कभी नहीं बताया कि फील्डिंग का कोई मसला है। हर मैच से पहले तय था कि सभी खिलाड़ी फील्डिंग प्रैक्टिस करेंगे। लेकिन एक मैच के पहले केवल सहवाग ही फील्डिंग प्रैक्टिस के लिए मैदान पर आये जब कि धोनी के साथ कई खिलाड़ी तफरीह के लिए बाहर चले गये। इस बात से सहवाग और भड़क गये। ड्रेसिंग रूम में तनाव इतना बढ़ गया था कि बीसीसीआइ को सीधे दखल देनी पड़ी। धोनी और सहवाग को बोर्ड ने वार्निंग दी कि वे खेल पर फोकस करें। बोर्ड के तत्कालीन सचिव संजय जगदाले को ड्रेसिंग रूम में शांति बहाल करने की जवाबदेही सौंपी गयी थी।
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