नई दिल्ली। क्रिकेट के मैदान पर रोमांच कभी कम नहीं होता ,गेंद और बल्ले की इस जंग में जुबानी जंग भी खूब होती है। एक ऐसा ही किस्सा है पाकिस्तान के महान क्रिकेटर वसीम अकरम और क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का। इस वाकये के बारे में जानने से पहले ये जान लीजिए कि क्रिकेट का यह वो दौर था जब अकरम अपनी लेंथ और रफ्तार के लिए जाने जाते थे और सचिन ने अतंरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेलना शुरू ही किया था। दुनिया को अंदाजा नहीं था कि क्रिकेट में नया-नया आया ये बालक आगे चलकर क्रिकेट का भगवान बन जाएगा।
सचिन तेंदुलकर ने 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया था और पहली बार पाकिस्तान का दौरा किया था। सचिन के सामने स्विंग और रफ्तार दोनों की चुनौती थी।जिसका मुकाबला सचिन ने डटकर किया।
1984 में पाकिस्तान के लिए डेब्यू करने वाले वसीम अकरम ने कहा कि 1989 में भारत के पाकिस्तान दौरे पर हमने भी सुना था कि 16 साल का एक बच्चा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एंट्री कर रहा है, जब हमने उसे देखा तो लगा कि वह 14 साल का दिख रहा है तो मैंने उससे कहा कि घर में मम्मी से पूछकर आए हो?हालांकि वसीम कहते हैं कि यह सब अनजाने में हुआ था।वह सचिन का काफी सम्मान करते हैं।
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बता दें कि सचिन ने एक बार इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया था कि 1989 में वह पाकिस्तान के खिलाफ अपने करियर की पहली टेस्ट पारी के बाद क्रिकेट छोड़ने के बारे में सोचा था।सचिन ने कहा था कि उस वक्त मैंने सोचा कि कराची में मेरे जीवन की पहली टेस्ट पारी शायद आखिरी पारी होगी। सचिन का कहना था कि वकार यूनुस और वसीम अकरम गेंद से स्विंग करा रहे थे और तेज रफ्तार की गेंद पर सचिन को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।