नई दिल्ली। क्रिकेट को जेंटलमैंन्स गेम यानि भद्रजनों का खेल कहा जाता है। मैदान पर मैच कितना भी रोमांचक हो, हार हो या जीत दोनों ही परिस्थिति मेंखिलाड़ी मैदान में संयम बरतें। मुमकिन है कि मैंच के दौरान अहम मोड़ पर खिलाड़ी आवेश में आ जाएं और तीखी प्रतिक्रिया दें लेकिन बावजूद इसके एक संयमको बनाए रखना ही खेल भावना का परिचायक होता है। बतौर टीम के कप्तान खिलाड़ी की जिम्मेदारी होती है कि वह बाकी टीम के सामने एक आदर्श प्रस्तुतकरे कि टीम में खेल भावना को बनाए रखना है। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली अपने शानदार खेल और आक्रामक रुख के लिए जाने जाते हैं। मैदान में वह अपनी भावना को जाहिर करने से कतई कतराते नहीं हैं। खेल में भावना को जाहिर करना कतई गलत नहीं है, लेकिन उसकी भी एक मर्यादा होती है जिसे लांघना कतई शोभा नहीं देता हैं। मुंबई इंडियंस के खिलाफ अहम मैच में जिस तरह से सूर्यकुमार यादव ने बल्लेबाजी की और टीम को जीत दिलाई, वह काबिले तारीफ है। इस मैच के दौरान विराट कोहली और सूर्यकुमार यादव के बीच जो स्लेजिंग देखने को मिली वह किसी भी मायने में कोहली जैसे दिग्गज खिलाड़ी को शोभा नहीं देती है।
मैदान पर गलत उदाहरण
मैच के दौरान सूर्यकुमार यादव बल्ले से बिल्कुल लय में थे, आरसीबी के गेंदबाज उनके सामने बेबस नजर आ रहे थे। लेकिन इस दौरान जिस तरह से विराट कोहली सूर्यकुमार यादव को घूरते हुए उनके पास जाते हैं और उनका मानसिक संतुलन बिगाड़ने की कोशिश करते हैं, वह किसी को भी शायद पसंद नहीं आया होगा। सूर्यकुमार यादव कवर की साइड में शॉट खेलते हैं, जिसे रोकने के बाद गेंद को हाथ में लेकर विराट कोहली सूर्यकुमार की ओर आते हैं उन्हें घूरते रहते हैं। इस दौरान सूर्यकुमार यादव भी विराट कोहली से नजरें मिलाते हैं लेकिन दोनों के बीच किसी भी तरह की बात नहीं होती है। लेकिन इस घटना के बाद कई सवाल उठते हैं, बतौर कप्तान विराट कोहली टीम इंडिया के चयन में सेलेक्ट कमेटी में अहम भूमिका निभाते हैं, ऐसे में कोहली का भारतीय युवा खिलाड़ियों के साथ इस तरह का बर्ताव कई शोभा नहीं देता है।
युवा खिलाड़ी की मानसिक दशा पर असर
हाल ही में टीम इंडिया का ऐलान हुआ, कई युवा खिलाड़ियों को मौका दिया गया लेकिन सूर्यकुमार यादव को टीम में जगह नहीं दी गई। ऐसे में विराट कोहली सेलेक्ट कमेटी का हिस्सा थे, जिसमे सूर्यकुमार के नाम को शामिल नहीं किया गया। ऐसे में जिस तरह से सूर्यकुमार यादव के साथ विराट ने मैदान पर बर्ताव किया उससे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर खुद टीम इंडिया का कप्तान युवा भारतीय खिलाड़ियों के साथ इस तरह का बर्ताव करेंगे तो वह किस तरह का आदर्श पेश करेंगे। अगर सूर्यकुमार यादव की मानसिक स्थिति की बात करें तो उन्हें भी यह मालूम है कि टीम इंडिया में शामिल होने के लिए विराट कोहली की राय अहम है, ऐसे में कोहली के साथ नोंकझोंक उनके भविष्य को खतरे में डाल सकती है।
युवाओं के साथ ऐसा बर्ताव ठीक नहीं
विराट कोहली मैदान पर अपनी टीम को जिताने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। फिर वह चाहे बल्ले से हो, फील्डिंग से हो या फिर मैदान पर बतौर कप्तान उनके फैसलों से। कोहली के भीतर जीत को लेकर जुनून मैदान में साफ देखने को मिलता है। लेकिन बतौर कप्तान विराट कोहली की युवा भारतीय खिलाड़ियों के प्रति भी एक जिम्मेदारी है। युवा खिलाड़ी जब आईपीएल में आपके विरुद्ध खेलते हैं तो उन्हें अपनी प्रतिभा और हुनर दिखाने का पूरा हक है, ऐसे में अगर कोई खिलाड़ी अच्छा खेल रहा है तो आपको उसका समर्थन करना चाहिए। लेकिन अगर इससे उलट अगर आप उसके साथ उलट आक्रामक व्यवहार करते हैं तो यह कतई विराट कोहली को बतौर कप्तान शोभा नहीं देता है।
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