टी20 वर्ल्ड कप को कितने वनडे वर्ल्ड कप के बराबर माना जाए?
सवाल यह है कि एक टी20 वर्ल्ड कप को कितने वनडे वर्ल्ड कप के बराबर माना जाना चाहिए? क्या एक टी20 वर्ल्ड का महत्व 50 ओवर के विश्व कप के बराबर मान लेना चाहिए? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका सीधा जवाब कहीं पर नहीं हैं।
ऐसे में सबसे पहले दोनों फॉर्मेट के वर्ल्ड कप को लेकर आईसीसी के रूख को समझने की कोशिश करनी होगी। आईसीसी अभी भी वनडे वर्ल्ड कप में चार साल का गैप रखकर चल रहा है जबकि टी20 में अब दो ही साल का अंतराल होगा। सबसे पहले तो केवल यही बात वनडे और टी20 वर्ल्ड कप में सबसे बड़ा फर्क और महत्व को बता देती है। ज्यादा लेकर कम आने वाली चीजों की वैल्यू कम समय लेकर ज्यादा बार आने वाली चीजों से ज्यादा होती है। यहां साफ तौर पर आप एक दशक में दो या तीन बार भी वनडे वर्ल्ड कप में देख पाएंगे तो वहीं टी20 वर्ल्ड कप में ऐसा पांच बार भी हो सकता है। ऐसे में गणित के हिसाब से एक वनडे वर्ल्ड कप की वैल्यू दो टी20 वर्ल्ड कप के बराबर हो जाती है।
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दोनों वर्ल्ड कप के फॉर्मेट को भी समझने की दरकार है-
लेकिन यह क्रिकेट है और टी20 फॉर्मेट एक बड़ा बिजनेस लेकर आता है। ऐसे में केवल समय के अंतर से टी20 वर्ल्ड कप को वनडे विश्व कप से कमतर आंकना भूल हो सकती है। यह फॉर्मेट फटाफट किस्म का है इसलिए हर दो साल में भी आसानी से कराया जा सकता है।
यहां दोनों वर्ल्ड कप के फॉर्मेट को भी समझने की दरकार है। 2019 का 50 ओवर का विश्व कप 10 तगड़ी टीमों के बीच खेला गया और हर टीम ने एक दूसरे के खिलाफ खेलकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। यह फॉर्मेट 2023 में भी खेला जाएगा। टी20 में एसोसिएट देश भी शामिल होते हैं और जैसा की इस बार हुआ था। भारत को अपने ग्रुप में बेहद ही आसान टीमों के साथ मैच करने को मिला और सबको लगा टीम इंडिया केवल दो ही मैच हारकर बाहर हो गई, बाकियों में तो उसने अच्छा प्रदर्शन किया। वनडे वर्ल्ड कप का फॉर्मेट फिलहाल कहीं ज्यादा मुश्किल है।
वनडे में तुक्केबाजी इतनी नहीं चलती-
दोनों विश्व कप में किसकी अहमियत कितनी ज्यादा है, इस पर अगर बहस हो रही है तो ये भी याद रखना होगा कि टी20 और वनडे बिल्कुल अलग ही फॉर्मेट हैं। वनडे में तुक्केबाजी नहीं चलती। टी20 में हर दिन एक तुक्केबाजी का नाम है जहां अपने दिन कोई भी किसी पर भारी पड़ सकता है। यही वजह है पाकिस्तान और इंग्लैंड जैसी सबसे बड़ी दावेदार टीमों को क्रमशः मैथ्यू वेड और जेम्स नीशम की कुछ ओवरों की आतिशी ने सेमीफाइनल में समाप्त कर दिया। हालांकि वनडे भी पूरी तरह बेदाग नहीं है लेकिन यहां पर आपको टी20 की तुलना में ढाई गुना ज्यादा मुकाबले में बना रहना पड़ता है। टी20 में ढाई गुना कम समय में आप मैच का नतीजा बना लेते हैं। जितना कम समय होगा उतने ही उलटफेर की संभावना भी कम होगी। इसलिए वनडे विश्व कप के विजेताओं के नाम याद रखना टी20 वर्ल्ड कप के विजेताओं की तुलना में थोड़े आसान हैं क्योंकि उनके प्रदर्शन याद रह जाते हैं।
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खिलाड़ियों की गुणवत्ता एक और बेहद महत्वपूर्ण मामला-
हालांकि 2023-2031 तक वनडे विश्व कप के फॉर्मेट में भी बदलाव होंगे और टीमों को दो ग्रुप में बांट दिया जाएगा। यहां पर फिर सुपर सिक्स भी देखने को मिलेगा। यहां तक भी टीमों की संख्या भी 14 हो जाएगी। तब वनडे और टी20 वर्ल्ड के बीच के फर्क पर अलग तरीके से बात होगी क्योंकि आगे टी20 वर्ल्ड कप में भी बहुत बदलाव होने वाले हैं और यहां पर आपको 20 टीमें देखने को मिलेंगी।
खिलाड़ियों की गुणवत्ता एक और बेहद महत्वपूर्ण मामला है। कुछ खिलाड़ी अब टी20 स्पेशलिस्ट बन चुके हैं तो कुछ वनडे में खेलते हैं। क्रिस गेल, ड्वेन ब्रावो, शोएब मलिक, मोहम्मद हफीज जैसे कई खिलाड़ी हैं जो केवल टी20 में खेलते हैं। इनकी उम्र और फिटनेस वनडे के हिसाब से पार हो चुकी है। जाहिर है वनडे में अधिक प्रयास की दरकार है। एक टेस्ट क्रिकेट खेलने वाला खिलाड़ी आसानी से वनडे खेल सकता है। एक वनडे खेलने वाला आसानी से टी20 खेल सकता है लेकिन टी20 खेलने वाला आसानी से वनडे और टेस्ट नहीं खेल सकता। टी20 मसल्स पॉवर, बिजली सी चपलता और कम समय में ज्यादा काम करने वाले खिलाड़ियों का खेल है। वनडे में अभी भी आप कौशल के ऊपर निर्भर रह सकते हैं।
टी20 चैम्पियन असली मायनों में क्रिकेट का चैम्पियन है?
इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण वेस्टइंडीज है जिसके खिलाड़ियों ने अपनी क्षमता टी20 के हिसाब से इतनी विकसित की लेकिन वनडे में वे दुनिया की सबसे खराब टीमों में शामिल हैं। जाहिर है टी20 चैम्पियन असली मायनों में क्रिकेट के बाकी फॉर्मेट के चैम्पियन नहीं होते। जबकि वनडे का चैम्पियन इंग्लैंड टी20 में भी धमाकेदार टीम है। टेस्ट चैम्पयिनशिप विजेता टी20 वर्ल्ड कप 2021 का फाइनल खेल रहे हैं।
100 और 200 मीटर रेस जैसा, फिर भी उससे थोड़ा अलग मामला-
इन सब फर्क के बावजूद यह कहना सही होगा कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में आज इतना अंतर आ चुका है कि सब प्रारूप अपनी विशेषताएं लेकर आते हैं। एक टी20 चैम्पियन को वनडे चैम्पियन से कमतर नहीं माना जा सकता और टेस्ट चैम्पियन की अपनी जगह है। कई बार यह एथलेटिक्स में 100 और 200 मीटर की रेस जैसा मामला है जहां 100 मीटर का गोल्ड 200 मीटर से कमतर नहीं होता लेकिन दोनों रेसों को जीतने के तरीके अलग होते हैं। टी20 वर्ल्ड कप को जो बात वनडे वर्ल्ड कप से अलग रखेगी तो वह टी20 फॉर्मेट की अनिश्चितता होगी। यहां जरूरी नही कि टी20 की चैम्पियन टीम आने वाले साल में भी वैसी ही परफॉरमेंस दे जबकि वनडे वर्ल्ड कप जीतने में वाली टीम के बाद के प्रदर्शन में भी थोड़ी ज्यादा निरंतरता पाई जाती है।