चयनकर्ता पुरस्कार लेते हैं तो हार की जिम्मेदारी भी लें
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि चयनकर्ताओं को भी टीम की हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि जब टीम के अच्छे प्रदर्शन पर वह पुरस्कार के हकदार होते हैं तो टीम की हार की जिम्मेदारी भी उनकी बनती है। अधिकारी ने कहा, "जब भी टीम कोई टूर्नामेंट जीतती है तो चयनकर्ताओं को भी नगद पुरस्कार दिए जाते हैं, लेकिन जब हार की बारी आती है तो सिर्फ खिलाड़ियों की आलोचना की जाती है। चयनकर्ताओं का क्या होता है?
चयनकर्ताओं के प्रदर्शन को कौन परखेगा?
अधिकारी ने आगे कहा कि चयन समिति के अध्यक्ष का क्या? वह लगभग सभी दौरों पर टीम के साथ जा रहे हैं। ऐसे में निश्चित है कि उन्होंने देखा होगा कि कहां सुधार की जरूरत है। नंबर-4 की जिम्मेदारी उनके जिम्मे होनी चाहिए क्योंकि वही इसी नंबर के लिए तमाम बदलाव कर रहे थे। अधिकारी ने कहा, "जब एक सलामी बल्लेबाज चोटिल हुआ तो आपने एक मध्य क्रम के बल्लेबाज को भेजा। इसके बाद आपका मध्य क्रम का बल्लेबाज चोटिल हो जाता है तो आप उसके विकल्प के तौर पर सलामी बल्लेबाज को भेजते हैं। बात मायने नहीं रखती कि टीम प्रबंधन क्या चाहता है, फैसला चयनकर्ताओं के पास में रहता है। इससे एक और बड़ा सवाल खड़ा होता है कि चयनकर्ताओं के प्रदर्शन को कौन परखेगा?"
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ऐसा रहा नंबर-4 का खेल
बता दें कि विश्व कप दाैरान नंबर-4 का खेल जो दिखा वो बेहद चिंता का विषय और सवाल खड़े कर देने वाला है। टीम का ऐलान किया जाने से पहले अंबाती रायडू नंबर-4 के लिए तय थे लेकिन उनकी जगह अचानक विजय शंकर को जोड़ लिया गया। लेकिन यहां शंकर भी नहीं चले, उल्टा चोटिल होकर बाहर हो गए। फिर पांड्या को आजमाया। वहीं सेमीफाइनल में रिषभ पंत को माैका दिया गया। यानि कि कुल मिलाकर विश्व कप दाैरान भी टीम चयनकर्ता तय फाइनल नहीं कर पाए कि नंबर-4 के लिए परफेक्ट खिलाड़ी काैन है।