तीखी बातों का तीखा जवाब
अगर हम देखें तो कोहली ने यह बात कोई बहुत सोच समझकर नहीं बोली बल्कि एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया में उन्होंने अपना वह जवाब दे दिया। इसमें भी शक नहीं कि फैन की वह टिप्पणी भी बहुत कठोर थी और जिस अंदाज से उसने यह बात बोली थी कि उसको विदेशी बल्लेबाज अच्छे लगते है, उसे पढ़कर एक बार को जरूर थोड़ा अजीब लग सकता है। कोहली जिस जोश में पूरे जूनून के साथ क्रिकेट खेलते हैं उसमें केवल क्रिकेट ही नहीं बल्कि देश के लिए खेलने का पैशन भी साफ दिखता है।
खिलाड़ी बनाम देशभक्त
जबकि एक आम इंसान या क्रिकेट प्रेमी के लिए यह कतई भी जरूरी नहीं है कि जो क्रिकेट खेलता है वहीं बहुत बड़ा देशभक्त होता है। जबकि कोहली के लिए क्रिकेट एक पेशे के साथ साथ देशप्रेम जैसा मुद्दा भी बन जाता है। निश्चित तौर पर एक पेशेवर क्रिकेटर होना और देशप्रेमी होना, ये दो अलग-अलग बातें हैं। लेकिन, हमने कई बार देखा है कि एक खिलाड़ी के लिए उसका खेल देशप्रेम को दर्शाने करने का भी एक साधन बन जाता है।
खेल भावना और सामान्य भावना दोनों में फर्क है
इस बात में कोई बुराई नहीं है और पूरे भारत में कोहली समेत ऐसे खिलाड़ियों का बेहद सम्मान होता रहा है, लेकिन कुछ मौकों पर समस्या तब आती है जब या तो खिलाड़ी भावनाओं में बह जाते है या फिर उनके प्रशंसक भावुक हो जाते हैं। यहां कोहली ने भावनाओं में क्रिकेट खिलाड़ियों को पसंद करना या ना करना देश को पसंद और नापसंद करने के बराबर मान लिया। ये उनका अपना नजरिया हो सकता है। वे क्रिकेट को इसी तरह से देखते भी होंगे लेकिन सब ऐसा नहीं सोचते और ऐसे लोग भी अपनी जगह सही हैं।
जितना बड़ा कद उतनी बड़ी जिम्मेदारी
देखा जाए तो इस मामले में कोहली का कद ही उनके सामने चुनौती बन गया है। लोग उनकी एक एक बात को गंभीरता से लेते हैं, ऐसे में उनको भी इस तरह की प्रतिक्रिया देते हुए कुछ सोचविचार करना चाहिए। हालांकि कोहली के इसी स्वाभाविक अंदाज के दुनिया भर में करोड़ो फैन भी हैं। अब जब उनकी आलोचनाओं का दौर शुरू हो चुका है और बीसीसीआई भी उनको ज्यादा सतर्क रहने की हिदायत दे चुका है तो संभव है कि वे इस मुद्दें पर कोई माफी भी मांग ले।