नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) आजकल विराट कोहली। उनसे पहले गौतम गंभीर, हरभजन सिंह, मनिंदर सिंह, मनोज प्रभाकर, प्रवीण कुमार वगैरह बेहद तुनक मिजाज रहे हैं। और इनसे भी पहले बिश्न सिंह बेदी, मोंहिदर अमरनाथ और उनके पिता लाला अमरनाथ वगैरह भी बहुत खुंदकी स्वभाव के रहे हैं।
बेहद एग्रेसिव मैदान के अंदर और बाहर। ये सभी उत्तर भारत के खिलाड़ी,जो लीग क्रिकेट आमतौर पर दिल्ली में खेलते हैं या खेलते रहे हैं, बात-बात पर गाली-गलौच करने के लिए बदनाम रहे हैं।
पंजाब और रेलवे की तरफ से रणजी ट्राफी खेल चुके क्रिकेट कोच गुरुचरण सिंह कहते हैं कि नार्थ जोन के खिलाड़ियों को कोई क्लास में भेजा जाना चाहिए ताकि ये गुस्सा कम करें। इनके बात-बात पर आवेश में आ जाने से टीम को हानि होती है।
गंभीर से तकरार
अगर बात कोहली की करें तो उनकी आईपीएल के एक मैच के दौरान अपने दिल्ली के साथी खिलाड़ी गौतम गंभीर से तगड़ी तकरार हो गई थी। तब से दोनों में बातचीत बंद है।
प्रवीण कुमार की दबंगई
उत्तर प्रदेश के रणजी ट्राफी खिलाड़ी और कई एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके प्रवीण कुमार भी मैदान के भीतर ही विरोधी खिलाड़ियों को गाली देते रहे हैं। उन्हें तो कई बार चेतावनी भी मिल चुकी है। उनकी अपने शहर मेरठ खासी दबंगई रही है।
मोटा माल लाते
दिल्ली क्रिकेट को लंबे समय से देख रहे सुरक्षित सिंहल कहते हैं कि कर्नाटक, हैदराबाद, मुंबई के खिलाड़ियों की तुलना में दिल्ली के खिलाड़ी कालेज जाने से पहले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने लगते हैं। इनके मां-बाप भी इन पर आगे पढ़ने का दबाव नहीं डालते क्योंकि ये मोटा माल कमाने लगते हैं। पर पढ़ाई के अभाव में इनमें बहुत कमी रह जाती है।
क्लास द्रविड़ और कुंबले की
कर्नाटक के खिलाड़ी जैसे राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, श्रीनाथ वगैरह इंजीनियर है। हैदराबाद से संबंध रखने वाले वीवीएस लक्ष्मण भी खासे पढ़े लिखे हैं। इनके अपने साथी खिलाड़ियों पर खासा असर रहा है। यह बात उत्तर भारत के खिलाड़ियों के संबंध में नहीं कही जा सकती। इनकी बातचीत में गालियों और दूसरे अपशब्दों का भरपूर प्रयोग होता है।
मैदान के भीतर भिड़े
कुछ साल पहले की बात है जब मनिंदर सिंह और मनोज प्रभाकर के बीच दिल्ली के एक मैदान के अंदर ही जमकर मारपीट हुई थी। दोनों ने एक-दूसरे को विकेटों से मारा था। इस तरह की घटनाएं देश के दूसरे भागों के खिलाड़ियों के बारे में सुनने को नहीं मिलतीं।
गुरुचरण सिंह भी मानते हैं कि पैसे के कारण खिलाड़ी अब किसी को कुछ समझते ही नहीं। इससे सारा माहौल बिगड़ा है। उत्तर भारत के खिलाड़ी तो बहुत घमंडी हो चुके हैं। इन पर लगाम लगनी चाहिए।