टॉस जीतना बन गया अभिशाप
इस सीजन की शुरुआत में खेले गए पहले 15 मैचों की बात करें तो 12 मैचों में टॉस जीतने वाली टीम को हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि बीच के मैचो में स्थिति थोड़ी बेहतर हुई और 15 मैच में से 9 मैच मे टॉस जीतने वाली टीम को मैच में जीत मिली। इस सीजन के पहले 20 मैच की बात करें तो 14 बार टॉस जीतने वाली टीम ने गेंदबाजी करने का फैसला लिया, जिसमे से उसे सिर्फ 2 बार जीत मिली। टूर्नामेंट में मैच नंबर 21 से 40 तक की बात करें तो 17 बार टॉस जीतने वाली टीम ने बल्लेबाजी का फैसला लिया और सिर्फ 7 मैच में उसे जीत मिली जबकि 10 मैच में टॉस जीतने वाली टीम जिसने बल्लेबाजी चुनी उसे हार का सामना करना पड़ा।
किस टीम को ज्यादा नुकसान
इन आंकड़ों का विश्लेषण करें तो टॉस हारने वाले कप्तान मैच के नतीजे से ज्यादा खुश होंगे। पिछले सीजन की बात करें तो टॉस जीतने वाली टीम का मैच जीतने का औसत इस बार की तुलना में कम है। इस वर्ष अगर अलग-अलग टीमों पर नजर डालें तो मुंबई की टीम ने 4 बार टॉस जीता, दो में जीत और दो में उसे हार का सामना करना पड़ा। हैदराबाद की टीम ने 7 बार टॉस जीता, 3 में जीत और 4 में हार का सामना करना पड़ा। आरसीबी ने 5 टॉस जीते जिसमे से 2 मे जीत और 3 में उसे हार मिली। सीएसके ने 6 बार टॉस जीता जिसमे से 2 में उसे जीत और 4 में हार मिली। केकेआर ने 6 बार टॉस जीता जिसमे से 2 में जीत और 4 मे हार मिली। दिल्ली ने 5 बार टॉस जीता जिसमे से 1 में जीत और 3 में उसे हार मिली। राजस्थान ने 5 बार टॉस जीता जिसमे से 1 में उसे जीत और 4 में हार मिली। पंजाब की टीम ने 3 टॉस जीते और सभी में उसे हार का सामना करना पड़ा।
क्या कै अंक तालिका का हाल
बहरहाल 40 मैचों के बाद प्वाइंट टेबल की बात करें तो दिल्ली कैपिटल्स की टीम 10 में से 7 मैच जीतक और बेहतर रन रेट की बदौलत शीर्ष पर है। जबकिक दूसरे नंबर पर आरसीबी की टीम है, जिसने 10 में से 7 मैच में जीत दर्ज की है। तीसरे नंबर पर मुंबई की टीम है जिसने 9 में से 6 मैच में जीत दर्ज की है। चौथे पायदान पर केकेआर की टीम है जिसने 10 में से 5 मैच में जीत दर्ज की है। यानि चौथे स्पॉट के लिए अभी भी जंग जारी है।