घरेलू क्रिकेट का चर्चित चेहरा
विजय शंकर टीम इंडिया की ब्लू जर्सी में भले ही एक नया नाम हों लेकिन जो क्रिकेट फैंस रणजी ट्रॉफी फॉलो करते हैं उनके लिए यह नाम बहुत पुराना और एक मझे हुए खिलाड़ी का है। तमिलनाडु की ओर से रणजी खेलने वाले इस खिलाड़ी ने 41 मैचों में 47.70 की औसत और 51.15 के स्ट्राइक रेट से अब तक 2099 रन बनाए हैं और जिसमें 5 शतक और 15 अर्धशतक शामिल हैं। साल 2017 में श्रीलंका के खिलाफ जब भुवनेश्वर कुमार ने आराम करने का फैसला लिया था तब BCCI ने इस खिलाड़ी को एक ऑल राउंडर के तौर पर दो टेस्ट के लिए टीम में शामिल किया था। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में इन्होंने 32 विकेट झटके हैं और सनराइजर्स हैदराबाद और चेन्नई सुपर किंग्स के लिए आईपीएल मैच भी खेले हैं।
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लिस्ट-A के शानदार ऑल राउंडर
निदहास ट्रॉफी में हार्दिक पांड्या की जगह विजय शंकर चयनकर्ता के लिए पहले विकल्प थे। उन्हें टीम में शामिल किया गया और उन्होंने 6 मार्च 2018 को श्रीलंका के खिलाफ टी-20 डेब्यू किया। इस मैच में इन्होंने सिर्फ 2 ओवर की गेंदबाजी और अपने करियर के दूसरे मैच में मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम किया जिस मैच में भारतीय टीम ने बांग्लादेश को 6 विकेट से हराया था। यह लिस्ट-A के उन 6 उम्दा ऑल राउंडर में से एक खिलाड़ी हैं जिनके नाम 1500 रन और 25 विकेट शामिल हैं।
IPL से मिली पहचान
27 वर्षीय शंकर ने तमिलनाडु के लिए घरेलू क्रिकेट की शुरूआत साल 2012 में की,साल 2014 में ये चेन्नई सुपर किंग्स आईपीएल फ्रेंचाइजी टीम में शामिल थे जहां इन्हें सिर्फ एक गेम खेलने का मौका मिला। साल 2017 में इन्हें सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से चार मैच खेलने का मौका मिला और 63* इनका आईपीएल में बेस्ट स्कोर है। 2018 के आईपीएल ऑक्शन में इन्हें दिल्ली ने 3.20 करोड़ में खरीदा और वहां से इनकी किस्मत की रेलगाड़ी ने सही ट्रैक पर तेज गति से सरपट भागना शुरू कर दिया।
पिता का मिला सहयोग
विजय शंकर शुरुआती दिनों में कार पार्किंग में अपने भाई और पिता के साथ क्रिकेट खेला करते थे। इनके पिता गणेश एच शंकर एक आर्ट फोटोग्राफर हैं जिन्होंने अपने 15 फुट चौड़े और 35 फीट लंबे टेरेस को शंकर के लिए इंडोर नेट प्रैक्टिस की जगह बना दी जहां विजय सिंथेटिक एस्ट्रो टर्फ और बॉलिंग मशीन के जरिए प्रैक्टिस करते थे क्योंकि इन्हें चक्रतार एकेडमी में प्रैक्टिस करने के लिए घर से दो घंटे के सफर के बाद पहुंचना होता था। रणजी ट्रॉफी 2014-15 में विजय ने 57.70 की औसत से 577 रन बनाए जिसमें 111, 82, 91, 103 रनों की पारी शामिल थी।
सादगी पसंद इंसान हैं शंकर
टीम इंडिया में इन दिनों जहां मॉडर्न डे के क्रिकेट खिलाड़ियों के टैटू और हेयरस्टाइल फैशन ट्रेंड बनते जा रहे हैं वहीं विजय शंकर के लिए उनकी सादगी ही सबसे बड़ी पहचान है। शंकर को फुर्सत के पलों में अपने दोस्तों के साथ वक्त बिताना पसंद है उन्होंने टीम इंडिया में चयन होने के बाद भी न कोई टैटू गुदवाए हैं और न ही उन्होंने अपने हेयर स्टाइल में कोई बदलाव किया है। शंकर मैनचेस्टर यूनाइटेड के बहुत बड़े फैन हैं।
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मुश्किल रहा है सफर
विजय शंकर के लिए टीम इंडिया में चुने जाने का सफर इतना आसान नहीं रहा है। साल 2015 में उन्हें कंधे में चोट लगी इसके ठीक बाद साल 2016 में उनके घुटने का ऑपरेशन हुआ और इसके बाद भी उन्हें इंडिया-A के दक्षिण अफ्रीकी दौरे पर भी पिछले साल कंधे में चोट लगी थी। शंकर 20 साल की उम्र तक ऑफ स्पिन गेंदबाजी करते थे लेकिन तमिलनाडु की टीम में स्पिनर की अधिक भीड़ होने की वजह से उन्होंने मध्यम गति से तेज गेंदबाजी को एक विकल्प के तौर पर आजमाया और सफल भी हुए।
राहुल द्रविड़ हैं आदर्श
विजय शंकर लंबे-लंबे छक्के लगाने में माहिर हैं इसकी बानगी उन्होंने हाल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पेश किया है लेकिन इन्होंने साल 2015 में इंडिया A बनाम बांग्लादेश A के खिलाफ एक गैर आधिकारिक टेस्ट में एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के मीडिया बॉक्स की कांच पर ऐसा छक्का मारा था जिसकी चर्चा लंबे समय तक हुई थी। विजय शंकर क्रिकेट जगत में सम्मान के पर्याय राहुल द्रविड़ को अपना आदर्श मानते हैं और 2004 में एडिलेड टेस्ट में खेली "The wall" की पारी को प्रेरणा के लिए देखा करते हैं।