विराट करें नए खिलाड़ियों पर भरोसा
विराट कोहली एक शानदार खिलाड़ी हैं इसमें दो राय नहीं लेकिन बतौर कप्तान कोहली की गलतियां टीम इंडिया पर कई मौकों पर भारी पड़ जाती हैं। सौरव गांगुली ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "जब आप किसी भी खिलाड़ी को बैक करते हैं तो उससे एक उम्दा खिलाड़ी निकलता है" यह बात नागपुर में धोनी ने दिखाई लेकिन कोहली इसमें अक्सर चूक जाते हैं।विराट कोहली ने नागपुर ODI में जीत के बाद यह स्वीकार किया था कि उन्हें धोनी और रोहित से मदद लेनी पड़ी। विजय शंकर से आखिरी ओवर का फैसला माही का था न कि विराट का। कोहली बतौर कप्तान नए खिलाड़ियों पर उतना भरोसा नहीं दिखाते हैं जितना धोनी ने टी-20 वर्ल्ड कप में जोगिंदर शर्मा पर दिखाया था या बाकी मैचों में किसी और खिलाड़ी पर दिखाते हैं। मोहाली ODI में विराट 'नागपुर का ट्रिक' मिस कर गए। शंकर ने 5 ओवर में महज 29 रन दिए थे लेकिन उन्हें डेथ ओवर में गेंदबाजी नहीं मिली। ओस की वजह से भले ही स्थिति भारत के पक्ष में नहीं थी लेकिन स्लगिश पिच पर शंकर, भुवनेश्वर से बेहतर गेंदबाजी कर सकते थे। कोहली शायद यहाँ एक ट्रिक चूक गए और मैच का परिणाम भी बदल गया। कोहली चहल को ओवर देते रहे और उन्होंने अपने ODI करियर में सबसे अधिक रन लुटाए। क्या शंकर चहल से बेहतर विकल्प नहीं हो सकते थे ?
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ड्रीम टीम में किसे मिले जगह
विश्व कप की ड्रीम टीम कैसी हो, इसे लेकर पिछले 6 महीने से माथापच्ची हो रही है और हर मैच के परिणाम के बाद क्रिकेट एक्सपर्ट इस पर अपनी अलग-अलग राय देते हैं। टीम इंडिया और मैनजेमेंट ने 18 बेस्ट खिलाड़ियों की सूची तय कर ली है, मुख्य चयनकर्ता ने ही इस बात को जगजाहिर किया है लेकिन किस खिलाड़ी को प्लेइंग-11 में जगह मिले इस पर विराट कोहली को भी थोड़ी सख्ती बरतनी होगी। विश्व कप के परिपेक्ष्य मे प्लेइंग एकादश में दो स्पिनर की जगह एक साथ नहीं बनती है। चहल का हालिया प्रदर्शन बहुत उम्दा नहीं है और कुलदीप हर एक पिच पर उनसे बेहतर प्रदर्शन करते दिखते हैं।
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नंबर-4 पर किसे मिले जगह
क्रिकेट में अक्सर कहा जाता ही टीम जितनी सफल हो कप्तान भी उतना ही सफल होता है। विराट एक शानदार खिलाड़ी के साथ अगर दुनिया के बेस्ट कप्तान बनना चाहते हैं तो उन्हें दुनियाभर में अपनी बेस्ट टीम चुननी होगी। इसके लिए उन्हें कुछ कड़े फैसले भी लेनें होंगे। नंबर-4 टीम इंडिया में एक ऐसी पहेली बन गई है जिसका समाधान पिछले चार सालों में नहीं मिला है। लोकेश राहुल नंबर-3 पर पाटा विकेट पर भी गैर जिम्मेदार शॉर्ट खेलकर आउट हुए। अगर विराट खुद भी नंबर-4 पर खेलते हैं तो उन्हें पहले टीम की रीढ़ कहे जाने वाले नंबर-3 को और मजबूत करना होगा क्योंकि कोहली के इस स्पॉट को भरना इतना आसान नहीं होगा। ODI क्रिकेट में लोकेश राहुल लचर दिखते हैं और शायद उन्हें बतौर ओपनर बैकअप के तौर पर जगह मिल पाए। ऋषभ पंत को अगर बैक-अप के तौर पर ले जाना है उन्हें अपनी कीपिंग पर काम करने की जरूरत है। बल्लेबाजी में भी वो बहुत उम्दा नहीं दिख रहे हैं इसलिए विराट को विश्व कप जीतने वाली टीम इंडिया चुननी चाहिए।
डेथ ओवर में जुटाएं और रन
किसी भी ODI मैच में डेथ ओवर (40 से 50 ओवर) को मैच का निर्णायक मोड़ कहा जाता है, जहां से मैच की दशा और दिशा दोनों तय होती है लेकिन टीम इंडिया पिछले एक साल से इन ओवरों के बीच तेज रन बनाने में नाकाम रही है। यह सिलसिला जोहान्सबर्ग ODI में शुरू हुआ। एक समय 35 ओवर में 200 रनों का आंकड़ा पार कर चुकी भारतीय टीम 289 रनों पर ऑल आउट हो गई जिसमें धोनी ने 43 गेंदों में 42 रनों की पारी खेली और उनकी खूब आलोचना हुई। पोर्ट एलिजाबेथ ODI में भी हाल कुछ ऐसा ही था और हाल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी भारतीय टीम पहले 30 ओवर में बड़े स्कोर करने के बावजूद अंतिम 10 ओवर में नाकाम हो रही है। मोहाली ODI में भी टीम इंडिया अंतिम 10 ओवर में महज 83 रन जुटा पाई। भारतीय टीम को विश्व कप जैसे इवेंट को जीतने के लिए अपनी इस कमजोरी पर भी काम करना होगा।
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