नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए
सबसे लंबे समय तक क्वारेंटीन में रहने वाले रिद्धिमान साहा ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि अब मुझे इसकी आदत हो गई है, जब मैं क्वारेंटीन में भी नहीं था तो भी मैं अपने कमरे में ही रहता था, यही वजह है कि अब मेरे लिए यह बहुत मुश्किल नहीं है। मैं बाहर बहुत नहीं जाता हूं इस वजह से मुझे ज्यादा दिक्कत नहीं होती है। मैं घर में ही रहता हूं कि दोस्तों परिवार के साथ संपर्क में रहता हूं, नेटफ्लिक्स, हॉटस्टार पर समय बिताता हूं। मुझे कॉमेडी फिल्म पसंद हैं, मेरी पसंदीदा फिल्म अंदाज अपना अपना है। जब मैं कोरोना संक्रमित हुए था तो मुझे लगता था कि अच्छा है बाहर की दुनिया से दूर रहिए। आपको नकारात्मकता से दूर रहना चाहिए। हमेशा खुश रहना चाहिए।
क्यों नहीं मिली भारतीय टीम में जगह
भारतीय टीम में अपनी जगह स्थिर नहीं कर पाने पर साहा ने कहा कि जब धोनी भाई टीम में थे तो मैं टीम में लगातार नहीं बना रह सका। मैंने मैच खेले ही नहीं, 2014-2018 में मैंने खेलना शुरू किया। जब मैं चोटिल हो गया तो दिनेश कार्तिक, पार्थिव पटेल और ऋषभ पंत टीम के लिए खेले। पंत ने अपनी जगह पक्की करने में सफलता पाई है, उनके भीतर क्षमता है, उन्होंने अवसर को दोनों हाथों से लपका, अब मैं अपनी बारी का इंतजार कर रहा हूं। हर खिलाड़ी इस तरह के दौर से गुजरता है। भुवनेश्वर कुमार को ही अगर हम देखे तो वह भारत के लिए सभी फॉर्मेट में खेल रहे थे लेकिन चोट की वजह से वह उनके करियर पर असर पड़ा है।
मेरे लिए 25-30 रन के ज्यादा मायने
बतौर बल्लेबाज रिद्धिमान साहा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं इसपर साहा का कहना है कि क्या मैं अच्छा बल्लेबाज नहीं हूं, इसका फैसला लोगों को करने दीजिए। जब मैं बल्लेबाजी करने जाता हूं, अगर आप मेरी पिछली कुछ पारियों को देखे तो मैंने अच्छा किया है। अधिकतर पारियों में मेरी बल्लेबाजी के दौरान पारी को घोषित किया गया है। ऐसे में मैं क्या कर सकता हूं, अपने लिए खेलूं या फिर टीम के लिए, मैं टीम की बजाए खुद के लिए खेला होता तो मेरी आलोचना नहीं होती। मैं हमेशा से सोचता हूं कि टीम के लिए जरूरी 25-30 रन की ज्यादा अहमियत होती है बजाए शतक और अर्धशतक के क्योंकि इससे टीम को जीत मिलती है। मैं अपने खेल से संतुष्ट हूं। मैं हमेशा टीम को वरीयता देता हूं।