मुश्किल दाैर से गुजरे
यशस्वी का एक समय ऐसा भी था जो किसी को भी मोटिवेट करने के लिए काफी है। बुरे वक्त का सामना करना कैसे आगे बढ़ना, ये सब यशस्वी ने बढ़ते समय के साथ-साथ अच्छे से सीख लिया। जब वह 2012 में मुंबई आए, तब वह सिर्फ 11 साल का थे और शहर में रहने के लिए कहीं जगह नहीं थी। अपना अधिकांश समय क्रिकेट में लगाने वाले यशस्वी को एक डेयरी की दुकान में सोने के लिए जगह दी गई थी जहां से उन्हें जल्द ही बाहर निकाल दिया गया। बाद में उन्हें आजाद मैदान के मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के टेंट में मैदानकर्मियों द्वारा शरण दी गई थी। जयसवाल के लिए स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ।
भूखे पेट तम्बू में गुजारी रातें
इसके बाद यशस्वी के पास पैसे की कमी हुई तो वह कमाने लग पड़े। रात को कई बार भूखे पेट ग्राउंड में लगे टेंट में ही सो जाते थे। इसका जिक्र उन्होने हाल ही में करते हुए कहा था, ''मैं सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहता था और मैं मुंबई के लिए खेलना चाहता हूं। मैं एक टेंट में रहता था और वहां बिजली, वॉशरूम या पानी की कोई सुविधा नहीं थी। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए, मैंने एक खाद्य विक्रेता के साथ काम करना शुरू कर दिया। कई बार मुझे बुरा महसूस होता। लेकिन यह आवश्यक था।"
अब सचिन के बल्ले से कर सकता है डेब्यू
यशस्वी भारतीय क्रिकेट के भविष्य नजर आ रहे हैं। वह रोहित शर्मा की कमी पूरी कर सकते हैं, क्योंकि उनका खेलने का अंदाज भी विस्फोटक भरा है। यशस्वी जब डेब्यू करेंगे तो वह पूर्व महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के बल्ले से खेलकर डेब्यू कर सकते हैं। दरअसल, इसकी मांग भी सचिन ने ही की। सचिन के बेटे अर्जुन तेंदुलकर और यशस्वी दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं। इन दोनों की दोस्ती बेंगलुरु में स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में हुई थी। उस वक्त अर्जुन और यशस्वी दोनों एक ही कमरे में रहते थे। एक बार अर्जुन ने यशस्वी की मुलाक़ात अपने पिता से करवाई थी। वे साल 2018 में यशस्वी को अपने घर ले गए। पहली ही मुलाकात में सचिन ने यशस्वी से प्रभावित होकर उन्हें अपना बल्ला गिफ्ट में दे दिया। यही नहीं, सचिन ने यशस्वी से अपने डेब्यू मैच में उसी बल्ले से खेलने की गुजारिश भी की।