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यशस्वी जायसवाल, पानी-पूरी बेची, टेंट में रहे, फिर सबसे कम उम्र में बनाई वर्ल्ड रिकॉर्ड डबल सेंचुरी

Yashasvi Jaiswal Biography : From Selling Panipuri to smashing Double Hundred | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली: भारत के अंडर-19 क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल रातों-रात भारतीय क्रिकेट फैंस के घरों में लिया जाने वाला नाम बनकर उभरे हैं। विजय हजारे ट्रॉफी में धमाकेदार शुरुआत करने के बाद यशस्वी ने बुधवार को केवल 154 गेंदों पर 203 रन ठोककर 19 साल बाद नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। वे अब लिस्ट ए क्रिकेट में सबसे कम उम्र में दोहरा शतक ठोकने वाले क्रिकेटर बन गए हैं। केवल 17 साल और 292 साल की उम्र में इस युवा ने ये ऐसा कारनामा किया है जो दुनिया में उनसे पहले कोई नहीं कर पाया था। यशस्वी ने 3 साल की उम्र के अंतर से यह रिकॉर्ड तब ध्वस्त कर दिया जब वे विजय हजारे ट्रॉफी में झारखंड के खिलाफ मैच खेल रहे थे।

यशस्वी का शानदार प्रदर्शन-

यशस्वी का शानदार प्रदर्शन-

यशस्वी ने 154 गेंदों पर 203 रनों की पारी खेली जिसमें उन्होंने 12 छ्क्के और 17 चौके जड़ दिए। यशस्वी ने इस मामले में दक्षिण अफ्रीका के घरेलू खिलाड़ी एलेन बॉरो को पीछे छोड़ दिया है जिन्होंने 20 साल 276 दिन की उम्र में 202 रन तब बनाए थे जब वे साल 2000 में नटाल की ओर से खेल रहे थे। यह यशस्वी का इस मौजूदा प्रतियोगिता में तीसरा शतक है। उन्होंने इसी टूर्नामेंट के साथ ही लिस्ट ए मैचों में अपना पदार्पण किया है। यशस्वी विजय हजारे ट्रॉफी के लीडिंग रन स्कोरर भी चल रहे हैं। इतना ही नहीं, यशस्वी ने एक और विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए लिस्ट ए मैचों में अपनी शुरुआती 5 पारियों में सबसे ज्यादा रन बनाने की उपलब्धि भी दर्ज कर ली है। उन्होंने 44, 113, 22, 122 & 203 रन बनाए हैं। इससे पहले साउथ अफ्रीका के महान क्रिकेटर ग्रीम पोलॉक ने 493 रन बनाए थे।

17 साल के यशस्वी की डबल सेंचुरी ने किया डबल धमाल, 19 साल बाद बना नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

सोने को नहीं मिली जगह, टेंट में किया गुजारा-

सोने को नहीं मिली जगह, टेंट में किया गुजारा-

हालांकि, बहुत से लोग नहीं जानते हैं कि सिर्फ तीन साल पहले, उत्तर प्रदेश के भदोही से ताल्लुक रखने वाले युवा यशस्वी जायसवाल के लिए स्थिति पूरी तरह से अलग थी। जब वह 2012 में मुंबई आए, तब वह सिर्फ 11 साल का थे और शहर में रहने के लिए कहीं जगह नहीं थी। अपना अधिकांश समय क्रिकेट में लगाने वाले यशस्वी को एक डेयरी की दुकान में सोने के लिए जगह दी गई थी जहां से उन्हें जल्द ही बाहर निकाल दिया गया। बाद में उन्हें आजाद मैदान के मैदान में मुस्लिम यूनाइटेड क्लब के टेंट में मैदानकर्मियों द्वारा शरण दी गई थी। जायसवाल के लिए स्थिति में बहुत सुधार नहीं हुआ।

पानी पूरी बेचकर की कमाई, रोटियां भी बेली

पानी पूरी बेचकर की कमाई, रोटियां भी बेली

उन्होंने टेंट में रहना जारी रखा। यद्यपि उन्होंने क्रिकेट खेलना जारी रखा, लेकिन पैसा एक बड़ी समस्या बन गई। वह एक खाने की दुकान पर मदद करने का काम करने लगे। उनको तंबू में दोपहर का भोजन और रात का खाना दिया जाता था लेकिन किचन में उनका काम स्टॉफ के लिए रोटियां बनाना था। वह कमाई के लिए पानी पूरियां भी बेचते थे। उन्होंने कहा, मैं सिर्फ क्रिकेट खेलना चाहता था और मैं मुंबई के लिए खेलना चाहता हूं। मैं एक टेंट में रहता था और वहां बिजली, वॉशरूम या पानी की कोई सुविधा नहीं थी। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए, मैंने एक खाद्य विक्रेता के साथ काम करना शुरू कर दिया। कई बार मुझे बुरा महसूस होता। लेकिन यह आवश्यक था।"

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जब बदलने लगी चीजें-

जब बदलने लगी चीजें-

हालांकि, जब कोच ज्वाला सिंह ने बाएं हाथ के बल्लेबाज को देखा, तो चीजें बदलने लगीं। "वह 11-12 साल का था जब मैंने पहली बार उसे बल्लेबाजी करते देखा था। मैं उसके प्रदर्शन से तुरंत प्रभावित हो गया था और वह आसानी से डिवीजन ए के गेंदबाजों के खिलाफ खेल रहा था। तब मेरे दोस्त ने मुझे बताया कि वह घर खोजने के लिए संघर्ष कर रहा था और उसके पास यहां एक कोच भी नहीं था। " ज्वाला सिंह ने पिछले साल एक साक्षात्कार में कहा था। जायसवाल के कोच ज्वाला सिंह ने कहा, "पिछले तीन वर्षों में, उन्होंने 51 शतक बनाए हैं और 200 विकेट लिए हैं। उन्हें बड़े स्कोर बनाने की आदत है। अगर वह बड़े टूर्नामेंटों में इस तरह से खेलते हैं, तो मुझे पूरा यकीन है। भारत के लिए खेलेंगे। " इससे पहले भी, जायसवाल ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान बनाया था, जब उन्होंने 319 रन बनाए थे और एक स्कूल क्रिकेट मैच में 13/99 (सबसे अधिक रन और विकेट) के गेंदबाजी आंकड़े हासिल किए थे।

Story first published: Thursday, October 17, 2019, 15:09 [IST]
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