टेस्ट क्रिकेट ज्यादा नहीं खेल पाए युवराज सिंह
हालांकि वे टेस्ट क्रिकेट ज्यादा नहीं खेल पाए जिसका मलाल शायद उनको ताउम्र रहेगा। दरअसल जब युवराज सिंह क्रिकेट खेला करते थे तो उनके करियर के शुरुआती दिनों में T20 क्रिकेट इतना लोकप्रिय नहीं था और तब टेस्ट क्रिकेट को खेलना ही प्रतिष्ठा के मामले में सर्वोच्च माना जाता था। यह स्थिति आज भी है कि जो खिलाड़ी टेस्ट मैच नहीं खेलता है उसको तमाम लोकप्रियता के बावजूद क्रिकेट बिरादरी में बहुत ऊंचा दर्जा नहीं दिया जाता भले ही, वह अपने फैंस के बीच में कितना भी चर्चित क्यों ना हो। आपकी क्लास का असली नजारा तभी देखने को मिलता है जब क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में आपकी परीक्षा होती है। शुक्रवार को युवराज सिंह ने भारतीय टीम मैनेजमेंट पर एक बार फिर से हल्के-फुल्के अंदाज में निशाना साधा कि उनको टेस्ट क्रिकेट खेलने का अधिक मौका नहीं दिया गया।
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विजडन इंडिया ने पूछा था पोल में सवाल-
युवराज ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू 2000 में किया था और उन्होंने 304 वनडे अंतर्राष्ट्रीय मुकाबले खेले। साथ ही 58 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। वनडे मैचों में उन्होंने 8701 रन बनाए जबकि टी20 मैचों में उन्होंने 1177 रन भारत के लिए बनाए। इसके अलावा उन्होंने 111 विकेट एकदिवसीय मैचों में और 28 विकेट क्रिकेट के सबसे छोटे फॉर्मेट में लिए। लेकिन टेस्ट मैचों में उनको 40 मुकाबले ही खेलने को मिले जहां पर उन्होंने 1900 रन बनाए जिसमें 3 शतक और 11 अर्धशतक शामिल थे। दरअसल मामला यह हुआ कि हाल ही में ट्विटर पर विजडन इंडिया ने अपने क्रिकेट फैंस से एक सवाल पूछने के लिए पोल किया था जिसमें पूछा गया था कि आपको क्या लगता है किस पूर्व भारतीय खिलाड़ी को अधिक टेस्ट मैच खेलने चाहिए थे? यह सवाल युवराज सिंह की एक तस्वीर के साथ पोस्ट किया गया था।
अगले जन्म में ही खेलूंगा टेस्ट क्रिकेट- युवराज
ऐसे में युवराज सिंह को जिस पर कमेंट करना नहीं चूके और पूर्व ऑलराउंडर ने अपने ही अंदाज में बात करते हुए लिखा, "शायद मुझे अगले जीवन में ही टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिलेगा जब मैं 7 साल तक टीम का 12वां आदमी नहीं रहूंगा।"
युवराज सिंह को भले ही टेस्ट क्रिकेट में उनकी प्रतिभा दिखाने के लिए पर्याप्त मौके नहीं दिए गए लेकिन उनका लिमिटेड ओवर फॉर्मेट में चमकदार करियर रहा। वह 2007 के टी 20 वर्ल्ड कप के पहले संस्करण में भारत की जीत के हीरो थे जो कि 2007 में दक्षिण अफ्रीका में खेला गया था। इसके बाद भारत ने एक और खिताब जीता जो कि 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में आया था। यह 50 ओवर का वर्ल्ड कप था और इसमें युवराज सिंह मैन ऑफ द सीरीज रहे थे। युवराज के ऑलराउंड प्रदर्शन के चलते भारत 28 साल बाद यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी उठाने में कामयाब रहा था।