श्रीलंका के पूर्व स्पिनर मुथैया मुरलीधरन
भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने खुलासा किया कि उन्होंने श्रीलंका के पूर्व स्पिनर मुथैया मुरलीधरन के खिलाफ बल्लेबाजी करने के लिए वास्तव में संघर्ष किया और उन्होंने कहा कि उनके पास मुरली के खिलाफ कोई सुराग नहीं मिलता था। उनका मानना है कि यह मुरलीधरन ही हैं जिसने उन्हें सबसे अधिक परेशान किया।
गांगुली, धोनी और कोहली- युवराज ने बताया किस कप्तान ने किया उनको सबसे ज्यादा सपोर्ट
"मैं वास्तव में (मुथैया) मुरलीधरन के खिलाफ संघर्ष कर रहा था। उसके खिलाफ कोई सुराग नहीं था। ग्लेन (मैक्ग्रा) दूर जाने वाली डिलीवरी से मुझे बहुत परेशान करते थे। सौभाग्य से मैंने मैकग्राथ के खिलाफ ज्यादा नहीं खेला क्योंकि टेस्ट मैचों में मैं बाहर बैठा था और सीनियर्स के लिए चीयर कर रहा था, "युवराज ने स्पोर्टस्टार को बताया।
सचिन ने दी इस तरीके से मुरली से निपटने की सलाह
युवराज ने यह भी बताया कि उन्होंने आखिरकार विश्वस्तरीय स्पिन गेंदबाजी से कैसे निपटना शुरू किया। युवी के अनुसार, यह भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की एक सलाह थी जिसने उनकी किस्मत को हमेशा के लिए बदल दिया।
उन्होंने कहा, "सचिन (तेंदुलकर) ने मुझे स्वीपिंग (मुरलीधरन के खिलाफ) शुरू करने के लिए कहा था और मैं उसको आराम से कर लेता था।"
मौजूदा पीढ़ी के रवैये पर भी उठाए सवाल-
इसी बीच युवराज सिंह ने मौजूदा पीढ़ी के क्रिकेटरों के टेस्ट क्रिकेट के प्रति रवैये को नकारते हुए कहा कि उनमें से ज्यादातर ने आईपीएल को प्राथमिकता दी है। युवराज ने यह भी कहा कि आज के युवा अपने सीनियर्स का उस तरह से सम्मान नहीं करते हैं जिस तरह से उनकी पीढ़ी उनका सम्मान करती थी।
टेस्ट क्रिकेट के प्रति घटती दिलचस्पी से चिंतित-
युवी ने कहा- "आज, युवाओं को भारत के लिए खेलने से पहले भी ऐसा (आकर्षक) आईपीएल अनुबंध मिलता है कि वे चार दिवसीय क्रिकेट (प्रथम श्रेणी) नहीं खेलना चाहते हैं। चार दिवसीय क्रिकेट और टेस्ट क्रिकेट के प्रति रवैया बहुत खराब है। मैं एक ऐसा व्यक्ति था जो टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए बेताब था। अपने 17 साल के करियर में, मैंने 40 टेस्ट खेले। सात साल मैं टीम से बाहर और बाहर रहा क्योंकि मध्यक्रम में प्रतिस्पर्धा थी।"