1986 में विश्व कप खिताब दिलाने वाले पूर्व कप्तान और महान खिलाड़ी डिएगो माराडोना ने कहा है कि फीफा ने लियोनेल मेसी को टूर्नामेंट के श्रेष्ठ खिलाड़ी का गोल्डन बॉल पुरस्कार देकर गलत फैसला किया है।
दक्षिण अफ्रीका में 2010 में आयोजित विश्व कप के 19वें संस्करण में अर्जेटीनी टीम के कोच रह चुके माराडोना मानते हैं कि इस विश्व कप में मेसी का प्रदर्शन जिस स्तर का रहा है, उसे देखते हुए वह गोल्डन बॉल के हकदार नहीं थे।
मेसी ने इस विश्व कप में कुल चार गोल किए। उनकी देखरेख में टीम फाइनल में पहुंची लेकिन वह न तो सेमीफाइनल में गोल कर सके और न ही फाइनल में। माराडोना मानते हैं कि 27 साल के मेसी को आर्थिक कारणों से यह पुरस्कार दिया गया है।
टेलीविजन कार्यक्रम 'टेलेसर' के दौरान माराडोना जमकर मेसी की आलोचना करते नजर आए। माराडोना ने कहा मेरा वश चले तो मैं मेसी को स्वर्ग दे दूं। मेरी नजर में उसे मार्केटिंग कारणों से गोल्डन बॉल पुरस्कार दिया गया है। यह एक गलत फैसला है।
माराडोना ने कहा कि 24 साल बाद फाइनल में पहुंचकर उनकी टीम का खिताब नहीं जीत पाना उन्हें काफी दुख पहुंचा रहा है। माराडोना ने कहा कि मैं देश के साथ संवेदना रखता हूं। मेरे दिल में काफी दुख है।
उल्लेखनीय है कि रविवार को माराकाना स्टेडियम में खेले गए खिताबी मुकाबले में जर्मनी ने अर्जेटीना को 1-0 से हराकर चौथी बार खिताब पर कब्जा किया। पहली बार किसी यूरोपीय टीम ने दक्षिण अमेरिका में खिताब जीता है। जर्मन टीम 24 साल बाद चैम्पियन बनी है।