नई दिल्लीः डिएगो माराडोना के निधन के बाद उनके देश अर्जेंटीना में शोक फैल गया है। पूरी दुनिया इस महान फुटबॉलर के निधर पर शोकग्रस्त है लेकिन मारोडाना अर्जेंटीना की पहचान थे। यह लैटिन अमेरिकी देश सामरिक और आर्थिक स्तर पर बहुत विश्व की समकालीन शक्तियों के मुकाबले उभरा नहीं है लेकिन इसमें दो राय नहीं कि अर्जेंटीना ने दुनिया के कुछ सबसे बेहतरीन फुटबॉलर पैदा किए हैं। लियोन मेसी से पहले डिएगो माराडोना भी ऐसे ही थे।
60 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन के बाद अर्जेंटीना में तीन दिन का राष्ट्रीय शोक है। माराडोन के पार्थिव शरीर को राष्ट्रपति के ऑफिस में लाया गया है। यहां तीन दिनों तक लोग अपने चहेते फुटबॉलर के लिए श्रद्धांजलि अर्पित कर सकेंगे।
भले ही माराडोना को आज के फ़ुटबॉल के सुपरस्टार लियोनेल मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो से कौशल में कमतर माना जाता है लेकिन सच ये है कि माराडोना जैसी लोकप्रियता इन दो आधुनिक खिलाड़ियों को भी नहीं मिली।
राजनीतिक विचारों में भी मुखर थे डिएगो माराडोना, फिदेल कास्त्रो को मानते थे अपना 'दूसरा पिता'
पेले और माराडोना को एक ही लोकप्रियता के चरम पर रखा जाता है। भले ही पेले माराडोना से 20 साल बड़े थे लेकिन दोनों को महानता में हमेशा साथ रखा जाता है और लोकप्रियता में भी। अपने दोस्त को श्रद्धांजलि देते हुए ब्राजील के महानतम फुटबॉलर पेले ने कहा- "मैंने एक दोस्त और दुनिया ने एक महान खिलाड़ी खो दिया है। मुझे उम्मीद है कि एक दिन आसमान में हम दोनों एक साथ फ़ुटबॉल खेलेंगे।"
अभी माराडोना के शव का पोस्टमॉर्टम बाकी है लेकिन उनके वकील का कहना है कि मौत प्राकृतिक है और उनकी ऑटोपसी का इंतजार है। बता दें कि बुधवार दोपहर ब्यूनस आयर्स के टाइगर शहर स्थित उनके घर में निधन से पहले माराडोना की इस महीने की शुरुआत में मस्तिष्क से खून का थक्का निकालने के लिए सफलतापूर्वक सर्जरी भी हुई थी।
माराडोना के बेटे मॉरिचियो पॉचिटीनो भी एक फुटबॉलर हैं और राष्ट्रीय टीम में डिफेंडर हैं। उन्होंने पिता के निधन को तोड़ने वाला बताया। और कहा कि उनके पिता एक हीरो और एक दोस्त थे जिनके साथ जीने का सौभाग्य उनको प्राप्त हुआ।