मॉस्को। फीफा वर्ल्ड कप 1966 की विजेता इंग्लैंड अपने दूसरे वर्ल्ड कप जीतने के इरादे से क्वार्टर फाइनल मुकाबले में स्वीडन से भिड़ेगी। इंग्लैंड को उलटफेर में माहिर इस टीम से सतर्क रहना होगा। स्वीडन की टीम ने इंग्लैंड के खिलाफ पिछले आठ प्रतिस्पर्धी मुकाबलों में से सिर्फ एक गंवाया है। मास्को में तनावपूर्ण माहौल में खेले गए अंतिम 16 के मुकाबले में कोलंबिया को पेनल्टी शूट आउट में हराने के बाद इंग्लैंड के हौसले बुलंद है।
बेशक स्वीडन का डिफेंस मजबूत हो लेकिन इंग्लैंड ने पिछले आठ मुकाबलों में से केवल एक बार शिकस्त मिली है। हालांकि दोनों टीमों को एक दूसरे के खिलाफ विश्व कप में अपनी पहली जीत का इंतजार है। ग्र्रुप स्टेज पर दूसरे स्थान पर रहने वाली इंग्लैंड की टीम ने प्री-क्वार्टर फाइनल में पेनाल्टी शूटआउट में कोलंबिया को हराया था। वहीं स्वीडिश टीम स्विट्जरलैंड को हराकर अंतिम-8 में पहुंची है।
इंग्लैंड ने 1966 में विश्व कप जीता था। चार साल पहले ब्राजील में हुए विश्व कप से टीम जल्दी बाहर हो गई थी और यूरो 2016 में आइसलैंड से मिली शर्मनाक हार ने टीम को शर्मसार किया था। फिलहाल कोच गेरेथ साउथगेट की टीम की लोकप्रियता का आलम यह है कि मई में हुई शाही शादी से ज्यादा दर्शक उसके फुटबॉल मैचों को मिल रहे हैं। कोलंबिया के खिलाफ मैच दो करोड़ 36 लाख लोगों ने देखा। हालांकि इंग्लैंड के लिए चिंता की बात ये हो सकती है कि टूर्नामेंट में उसके द्वारा किए गए नौ में से सात गोल सेट पीसेस और पेनाल्टी से हुए हैं।
दूसरी तरफ शुरुआती दौर में मुश्किल मुकाबलों के बाद अंतिम-8 में पहुंची स्वीडन की टीम भी कम नहीं है जिसने क्वालीफाइंग दौर में इटली और नीदरलैंड्स को हराकर विश्व कप में जगह बनाई थी और फिर उसने जर्मनी को बाहर कर ग्रुप-एफ में शीर्ष स्थान हासिल किया था। स्वीडन ने अब तक गेंद के पीछे पडने के बजाए अपनी डिफेंस पर भरोसा जताया है और जवाबी हमले के लिए मौकों का इंतजार किया है। स्वीडन के के स्टार खिलाड़ी मार्कस बर्ग ने 13 बार गोल पोस्ट पर निशाना साधा है लेकिन अब तक वह कोई भी गोल कर पाने में असफल रहे हैं। इंग्लैंड के लिए अच्छी बात ये है कि उसके कप्तान 6 गोल के साथ गोल्डन बूट की रेस में सबसे आगे हैं।