मॉस्को। गत चैंपियन जर्मनी फीफा वर्ल्ड कप से बाहर होने की कगार पर खड़ी है। अगर जर्मनी को फीफा वर्ल्ड कप 2018 के अगले राउंड में पहुंचना है तो उसे बुधवार को दक्षिण कोरिया के खिलाफ अंतिम ग्रुप मैच में हर हाल में जीत हासिल करनी होगी। हालांकि इस मैच में जर्मनी का पलड़ा भारी लग रहा है क्योंकि दक्षिण कोरिया की टीम ने एक भी मैच में जीत हासिल नहीं की है और वह पहले ही विश्व कप से बाहर हो चुकी है। इस मैच में उसका लक्ष्य जीत के साथ सम्मानपूर्वक अपने विश्व कप अभियान का समापन करना होगा।
पहले मैच में मेक्सिको से हार के बाद दूसरे मैच में टोनी क्रूस के अद्भुत गोल की बदौलत जर्मनी की उम्मीदें जिंदा हैं। हालांकि उसकी आगे की डगर ग्रुप एफ की अन्य टीमों की तरह अगर-मगर में फंसी हुई है और ऐसे में दक्षिण कोरिया के खिलाफ कल होने वाले मैच में छोटी सी भी चूक मौजूदा चैंपियन को भारी पड़ सकती है। क्रूस ने स्वीडन के खिलाफ दूसरे हाफ के इंजुरी टाइम के पांचवें मिनट में गोल करके जर्मनी को 2-1 से जीत दिलायी लेकिन टीम को अब भी मैक्सिको के खिलाफ 0-1 से हार कचोट रही है।
जोकिम की टीम को अगर विश्व कप के पहले दौर में बाहर होने वाली मौजूदा चैंपियन टीमों की सूची में छठे स्थान पर नाम दर्ज कराने से बचना है तो उसे दक्षिण कोरिया के खिलाफ पिछली गलतियों को भुलाकर नये सिरे से शुरुआत करनी होगी। जर्मनी की टीम 1938 के बाद से पहले दौर से बाहर नहीं हुई है लेकिन ग्रुप एफ में स्थिति बड़ी जटिल बनी हुई है। ग्रुप स्तर पर जर्मनी भले ही दूसरे स्थान पर हो, लेकिन उसके लिए नॉकआउट दौर में स्थान हासिल करना उसके आखिरी ग्रुप मैच पर ही नहीं, बल्कि स्वीडन और मेक्सिको के बीच खेले जाने वाले दूसरे ग्रुप मैच पर भी निर्भर करता है।
स्वीडन और जर्मनी की टीमें नॉक आउट दौर के लिए एक ही नांव पर सवार हैं। दोनों के ही तीन-तीन अंक हैं और दोनों ही टीमों ने दो गोल किए हैं और दो गोल खाए हैं। ऐसे में इन दोनों में से अपने ग्रुप मैच में जीतने वाली टीम ही अंतिम-16 दौर में प्रवेश हासिल कर पाएगी। जर्मनी को अगर अपने विश्व कप खिताब की उम्मीदों को जिंदा रखना है, तो उसे अपने आखिरी ग्रुप मैच में दक्षिण कोरिया के खिलाफ न केवल जीत हासिल करनी होगी, बल्कि अधिक गोल भी करने होगे। इस बीच, उसे दक्षिण कोरिया की टीम से एक भी गोल खाने से बचना होगा।