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फ़ीफ़ा वर्ल्ड कपः 'वीएआर' पर क्यों हो रहा है इतना हल्ला?

By Bbc Hindi

रूस में खेले जा रहे फ़ुटबॉल विश्व कप में चल रहे रोमांचक मक़ाबलों से भी ज़्यादा जिस बात की चर्चा की जा रही है वह है वीएआर यानी वीडियो असिस्टेंट रेफ़री सिस्टम की.

ऐसा पहली बार है जब विश्वकप में वीएआर तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है.

वीएआर के ज़रिए मैदान पर हुई किसी भी हलचल या फ़ैसले को अंतिम रूप देने या किसी भी संदेह को दूर करने के लिए उन क्षणों को वीडियो रिप्ले के ज़रिए दोबारा देखा जाता है और तब कोई निर्णय लिया जाता है.

तकनीकी रूप से काफी आधुनिक होने के बावजूद, वीएआर विवादों में रहा है. कुछ लोग इसके पक्ष में हैं तो कुछ इसके विपक्ष में खड़े दिखते हैं.

पुर्तगाल और ईरान का मैच

सोमवार को देर रात पुर्तगाल और ईरान के बीच खेला गया मैच 1-1 से बराबरी पर छूटा था. इस मैच में वीएआर तकनीक पर कई सवाल खड़े किए गए.

जिस वक़्त पुर्तगाल 1-0 से आगे था, उस समय ईरान के फ़ुटबॉलर सईद इज़ातोलाही ने पुर्तगाल के स्टार खिलाड़ी क्रिस्टियानो रोनाल्डो को बॉक्स के अंदर धकेल दिया था, हालांकि इसके बाद खेल जारी रहा.

लेकिन ब्रेक के बाद मैदान में मौजूद रेफ़री एनरिक़ केकरेस ने वीएआर तकनीक की मदद से अपना फ़ैसला बदला और पुर्तगाल को एक पेनल्टी दी गई. हालांकि रोनाल्डो उस पेनल्टी को गोल में तब्दील नहीं कर पाए.

वहीं दूसरे हाफ़ के बीच में रोनाल्डो ईरान के डिफेंडर मोर्तज़े पौरालिगंजी को छकाने की कोशिश कर रहे थे, इसी कोशिश में रोनाल्डो ने अपना बायां हाथ ऊपर उठाया जो ईरान के डिफेंडर के मुंह पर लग गया. रेफ़री केकरेस ने इस फुटेज का रिव्यू किया और रोनल्डो को महज येलो कार्ड दिखाया गया.

वहीं मैच के अंतिम क्षणों में जब ईरान के खिलाड़ी सरदार एज़मौन ने ऊंचा कूदते हुए बॉल को हेड करना चाहा तो वे पुर्तगाल के सेडरिक की बांह से टकरा गए.

ईरान ने इसके बाद वीएआर की अपील की, रीप्ले देखने के बाद यह माना गया कि पुर्तगाल के खिलाड़ी का हाथ बॉल पर लगा है, इस तरह मैच के अंतिम पलों में ईरान को बेश्कीमती पेनल्टी दे दी गई.

इसी फ़ैसले के बाद वीएआर तकनीक पर कई तरह के सवाल उठाए जाने लगे. क्योंकि इस निर्णायक पेनल्टी को गोल में तब्दील तक ईरान ने मैच 1-1 से बराबर करवा लिया.

स्पेन बनाम मोरक्को

स्पेन और मोरक्को के बीच खेला गया यह मैच भी 2-2 से बराबरी पर छूटा था. इस मैच में स्पेन काफी वक्त तक 1-2 से पीछे चल रहा था.

मैच के अंतिम पलों में इएगो एस्पस ने गोल कर अपनी टीम को बराबरी दिलवाई थी लेकिन एक पल के लगा कि वे ऑफ़ साइड से बाहर चले गए हैं.

बाद में रेफ़री ने फुटेज दोबारा खंगाली और पाया कि एस्पस ऑनसाइड थे, इस तरह स्पेन को बराबरी का यह गोल दिया गया साथ ही इस ड्रॉ के साथ स्पेन अपने ग्रुप में शीर्ष पर भी पहुंच गया.

वीएआर कैसे करता है काम?

फ़ुटबॉल में वीएआर किसी तीसरे रेफ़री की भूमिका में होता है. लेकिन इस रेफ़री के पास टीवी के तमाम कैमरों के अलग-अलग एंगल से मिल रही फ़ुटेज देखने की सुविधा भी रहती है.

वीडियो असिस्टेड रेफ़री मैच के दौरान होने वाले गोल, पेनल्टी और रेड कार्ड का हमेशा रिव्यू करते हैं भले ही मैदान में मौजूद रेफ़री ने इनके रिव्यू के लिए न कहा हो. अगर वीएआर को इनमें से किसी में भी कोई ग़लती मिलती है तो वे रेफ़री के फ़ैसले को पलटने की ताक़त रखते हैं.

इसी तरह अगर मैदानी रेफ़री को कोई निर्णय लेने में संशय हो रहा है तो वह वीएआर की मदद ले सकता है.

इस तरह वीएआर मैच के परिणाम बदलने वाले चार हालात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है-

  • गोल
  • पेनल्टी देना / पेनल्टी नहीं देने का फ़ैसला
  • सीधे रेड कार्ड दिखाना
  • रेफ़री की तरफ़ से की गई कोई भूल

वीएआर तकनीक का इस्तेमाल वैसे तो मार्च 2016 से ही किया जा रहा है. फ़ीफ़ा पिछले दो सालों से यह परख रही है कि क्या इस तकनीक की मदद से खेल के परिणामों को और बेहतर किया जा सकता है. अभी तक इस तकनीक का इस्तेमाल कुल 20 मैचों में किया गया है.

पिछले दो साल में दुनियाभर में हुए वीएआर के ट्रायल पर बनी एक आधिकारिक रिपोर्ट में बताया गया था इस तकनीक का फ़ैसला लगभग 98.9 प्रतिशत सटीक रहा है.

वीएआर के बारे लोगों का क्या है कहना?

वीएआर को लेकर लोगों में अलग-अलग मत हैं. कई लोगों का मानना है कि वीएआर की मदद से उन ग़लतियों को रोका जा सकता है जिसकी वजह से पूरे टूर्नामेंट के नतीजे बदल जाते हैं.

वहीं कुछ अन्य लोगों का मत है कि वीएआर की वजह से मैच के दौरान वक्त की बर्बादी होती है. वहीं इसकी वजह से मैच में लोगों के बीच मौजूद उत्साह में भी कमी आती है.

खासतौर पर वे लोग जो स्टेडियम में बैठकर मैच देख रहे होते हैं, उन्हें यह नहीं दिख रहा होता कि वीएआर के वक्त क्या चल रहा है.

वहीं कुछ लोग ऐसे भी है जो मानते हैं जब वीएआर सभी फ़ैसलों को नहीं बदल सकता तो इसका क्या फ़ायदा, क्योंकि यह तो ग़लत है कि कुछ फ़ैसले बदल दिए जाएं और कुछ वैसे ही रहें.

अब आगे क्या?

कई लोग कहते हैं कि बाक़ी खेलों के मुक़ाबले फ़ुटबॉल में वीडियो तकनीक का बहुत ही कम इस्तेमाल किया जाता है.

जैसे, टेनिस में हॉक-आई तकनीक से यह पता लगाया जाता है कि बॉल कोर्ट के अंदर गिरी या बाहर, वैसे ही रग्बी में टीएमओ यानि टेलीविजन मैच ऑफ़िशियल का इस्तेमाल किया जाता है.

जब फ़ीफ़ा ने रूस में होने वाले विश्व कप में वीएआर तकनीक को इस्तेमाल करने की बात कही थी तो फ़ुटबॉल के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण पल था.

उस समय फ़ीफ़ा के अध्यक्ष जियानी इनफ़ेन्टीनो ने बताया था, ''हम रेफ़री को यह विशेष तकनीक देना चाहते हैं जिससे वे बेहतर फ़ैसले ले सकें, विश्वकप में इस तकनीक की मदद से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएंगे.''

स्पेन की ला लीगा और फ्रांस की लीग-1 के अगले सत्र में इस तकनीक को शामिल किया जाएगा.

इससे पहले एफ़ए कप और कैराबाओ कप में इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा चुका है, वहीं प्रीमियर लीग ने फ़िलहाल इससे दूरी बनाई हुई है.

इस तरह कहा जा सकता है कि वीएआर को लेकर पूरी दुनिया में फ़ुटबॉल खिलाड़ी और उसके समर्थक बंटे हुए हैं और अभी यह बहस आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.

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Story first published: Friday, June 29, 2018, 18:12 [IST]
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