नई दिल्ली। भारतीय फुटबाॅल टीम के पूर्व फारवर्ड पी. कन्नन की रविवार को निधन हो गया। वह पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर जहां फुटबाॅल जगत में शोक की लहर थी तो दूसरी तरफ उनके परिवार में उनके शव को लेकर कलह मची हुई थी। इस पूर्व फुटबाॅलर के शव को लेकर उनकी दो पत्नियां आपस में भिड़ गईं।
भारत की तरफ से 14 मैच खेलने वाले कन्नन कि उनके परिवार में पत्नी एंटोनेटी और दो बेटियां हैं। इस परिवार ने उनके अंतिम संस्कार की पूरी तैयारियां कर लीं थी कि इसी बीच कन्नन की पहली पत्नी विजय लक्ष्मी बेंगलुरू से यहां पहुंच गई और उन्होंने विवाह प्रमाणपत्र दिखाकर शव पर दावा पेश किया। लक्ष्मी ने शव को अपने साथ ले जाने की मांग की लेकिन एंटोनेटी नहीं मानी। दोनों के बीच तीन दिन तक लड़ाई चलती रही। इस दाैरान शव दमदम के गोरा बाजार शवदाह गृह में रखा रहा। विवाद के दौरान यह भी पता चला कि कन्नन की तीसरी पत्नी भी थी जिसका पता नहीं लग पाया।
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काफी विवाद चलने के बाद आखिरकार बेंगलुरू से आई पहली पत्नी लक्ष्मी कन्नन का शव अपने साथ ले गई। अदक्षिण दमदम के काउंसलर संजय दास ने पीटीआई से कहा कि मामला सुलझा लिया गया है और एंटोनेटी के मानने के बाद उनकी पहली पत्नी शव को बेंगलुरू ले गई। कन्नन की कोलकाता में रहने वाली पत्नी एंटोनेटी ने कहा कि उन्होंने अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया। उन्होंने कहा, ''मैंने अनापत्ति प्रमाणपत्र दे दिया और उन्हें शव सौंप दिया। मेरे पास सारे दस्तावेज हैं। जब वह जीवित थे और उन्हें जरूरत थी तब मैंने उनकी देखभाल की। शव पर झगड़ा करने का कोई मतलब नहीं था। एक पत्नी के रूप में मैंने अपने कर्तव्यों का निर्वाह किया।''