नई दिल्ली। दुनिया भर में फुटबॉल से जुड़े लीग और टूर्नामेंट का संचालन करने वाली वैश्विक संस्था फीफा ने भारतीय लीग आईएसएल में भाग लेने वाली दो टीमें केरला ब्लास्टर्स और ईस्ट बंगाल एफसी पर बड़ी कार्रवाई करते हुए आगामी ट्रांसफर विंडो में नये खिलाड़ियों को साइन करने पर बैन लगा दिया है। फीफा की ओर से 1 जून को जारी किए गए लेटर में साफ किया गया है कि 9 जून से शुरू होने वाली आईएसएल ट्रांसफर विंडो में यह दोनों ही टीमें नए खिलाड़ियों को साइन नहीं कर सकेंगी।
फीफा प्लेयर्स की स्टेट कमिटी ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ को एक प्रेस रिलीज जारी की है जिसमें उन्होंने दुनिया भर में खेले जाने वाले क्लब स्तर के फुटबॉल के नियमों और मानदंडों के साथ आगे बढ़ने के लिए कहा है। अपने इस लेटर में फीफा ने भारतीय फुटबॉल महासंघ को दोनों टीमों पर लगाए गए बैन के बारे में भी जानकारी दी है।
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उल्लेखनीय है कि केरला ब्लास्टर्स और ईस्ट बंगाल एफसी पर यह बैन विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी ना दे पाने की शिकायत के बाद लगाया गया है। दरअसल केरला ब्लास्टर्स के पूर्व खिलाड़ी मातेज पॉपलतनिक ने साल 2018-19 में खेले गए एक सीजन की सैलरी अब तक ना मिलने को लेकर शिकायत की है। वहीं पर कोस्टारिका के लिए विश्वकप में खेल चुके खिलाड़ी जॉनी अकोस्टा ने भी ईस्ट बंगाल के खिलाफ सैलरी ना मिलने की शिकायत की है, जिसके बाद फीफा ने ट्रांसफर विंडो के दौरान नए खिलाड़ियों को शामिल करने पर बैन लगा दिया है।
गौरतलब है कि अगर दोनों टीमें अपने अपने खिलाड़ियों की सैलरी जल्द ही क्लियर कर देती हैं तो उनके पास ट्रांसफर विंडो में हिस्सा लेने का मौका बन जायेगा और टीमों से बैन हटा लिया जाएगा। वहीं पर बैन को लेकर केरला ब्लास्टर्स ने साफ किया है कि उन्होंने खिलाड़ियों की सैलरी क्लियर करने को लेकर जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
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केरला ब्लास्टर्स की टीम ने बयान जारी कर कहा, 'हमने खिलाड़ियों की सैलरी क्लियर करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं ताकि फीफा की ओर से क्लब पर लगाया गया ट्रांसफर बैन जल्द से जल्द हट सके। हम उम्मीद करते हैं कि हमें बचे हुए समय में जरूरी क्लेरेंस मिल जाएगी ताकि हम सीजन के शुरू होने से पहले बाकी तैयारियां ठीक से कर सकें।'
वहीं पर ईस्ट बंगाल एफसी की तरफ से इस मामले को लेकर अब तक कोई भी बयान नहीं जारी किया गया है। अकोस्टा की सैलरी के अलावा ईस्ट बंगाल की टीम का सीके विनीत, अभिषेक आंबेडकर और यूह्वेन लिहो के साथ भी सैलरी को लेकर कई स्तर का विवाद चल रहा है।