नई दिल्ली। इंटर मिलान के मेन स्ट्राइकर रोमेलु लुकाकू के बारे में नस्लीय और अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में एक कॉमेंटटेटर को बर्खास्त कर दिया गया है। लुसियानो पसिरानी नाम के एक टीवी कॉमेंटटेटर ने रोमेलु लुकाकू के खिलाफ ऑन ऑयर आपत्तिजनक टिप्पणी की जिसके बाद यह ठोस कदम उठाया गया. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार लुसियानो पसिरानी ने ऑन एयर कॉमेंट्री करते हुए 'लुकाकू सबसे मजबूत खिलाड़ियों में से एक है, मुझे वह बहुत पसंद है क्योंकि उसके पास ताकत है। वह अटलान्ता के स्ट्राइकर दुवन जपाटा की तरह हैं।'
यह कॉमेंटटेर यहीं पर नहीं रुका उसने आगे कहा,' इन खिलाड़ियों के पास औरों से कुछ अधिक है, जिसका आप कुछ नहीं कर सकते. यह खिलाड़ी अपनी टीम के लिए गोल कर उसे आगे ला खड़ा करते हैं. अगर आप इन खिलाड़ियों से एक-एक करके भिड़ते हैं तो पक्का मारे जाएंगे, हालांकि आप इन्हें 10 केलों की रिश्वत दे सकते हैं.'
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कॉमेंटटेटर की अपमानजनक टिप्पणाी के बाद प्रोग्राम निदेशक फैबियो रवेज़ानी ने लुसियानो पासिरानी को बर्खास्त करते हुए कहा कि अब वह माफी मांगने के बावजूद हमारे प्रसारण कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन सकते. हमारे कॉमेंटटेटर्स में से एक ने लुकाकु की तारीफ करने के लिए गलत कहावत का चयन किया जो कि एक नस्लवादी टिप्पणी प्रतीत होती है, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते, भले ही यह अनजाने में क्यूं न कही गई हो, एक व्यक्ति जो घंटों तक बोलता है वह अंत में नस्लवादी टिप्पणी करता है।'
यह पहली बार नहीं है जब लुकाकु को नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ रहा है, इससे पहले इस महीने की शुरुआत में, इंटर मिलान फैन्स ने लुकाकु को चिढ़ाते हुए मंकी-मंकी चिल्लाया था.
इस घटना से आहत लुकाकु ने इंस्टाग्राम पर एक बयान जारी करते हुए कहा, 'पिछले महीने में कई खिलाड़ियों को नस्लीय दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। फुटबॉल एक खेल है जिसका आनंद सभी को लेना चाहिए और हमें किसी भी प्रकार के भेदभाव को स्वीकार नहीं करना चाहिए , यह इस खेल के लिए शर्म की बात है । मुझे उम्मीद है कि दुनिया भर के फुटबॉल संघ भेदभाव के सभी मामलों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक) को फुटबॉल क्लबों के साथ भी बेहतर काम करने की आवश्यकता है क्योंकि हर दिन आप लोगों के रंग को लेकर कम से कम एक नस्लवादी टिप्पणी को एक पोस्ट के तहत देखते हैं।'
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आपको बता दें कि पेनल्टी को गोल में बदलने में नाकाम रहने के बाद मैनचेस्टर यूनाइटेड के खिलाड़ी पॉल पोग्बा और मार्कस रश्फोर्ड के साथ भी नस्लीय दुर्व्यवहार किया गया था।