श्रीनगर। आठ वर्ष की तजामुल इस्लाम ने घाटी में वह काम किया जो 60 और 70 वर्ष के अलगाववादी नेता और राजनेता भी नहीं कर पा रहे हैं। चार माह से से जिस घाटी में गोलियों और पत्थरों की आवाजें गूंज रही थीं, उसी घाटी में अब लोग चेहरे पर खुशी के साथ नजर आ रहे हैं। इसकी वजह है यही आठ वर्ष की तजामुल इस्लाम।
अगर आपको तजामुल इस्लाम के बारे में नहीं पता तो आपको बता दें कि तजामुल वही बच्ची है जिसने पिछले दिनों इटली में किक बॉक्सिंग में गोल्ड मेडल जीता है।
तजामुल उत्तर कश्मीर के उसी बांदोपोर की रहने वाली है जहां पर पिछले माह सेना की ओर से आतंकियों को तलाशने का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया गया था।
जिस बांदोपोर को आतंकियों की पनाहगार के तौर पर आप सब जानते हैं, अब उसी बांदीपोर को अब तजामुल इस्लाम के लिए भी जानेंगे।
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इटली में पिछले दिनों हुई वर्ल्ड सब-जूनियरकिक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में तजामुल ने गोल्ड मेडल जीता और घाटी के साथ देश का मान भी बढ़ाया।
रविवार को तजामुल अपने घर वापस लौटी है। तजामुल इंडियन आर्मी के गुडविल स्कूल में पढ़ती है और उसे दो माह तक दिल्ली में ट्रेनिंग दी गई थी।
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किक बॉक्सिंग शारीरिक ताकत के साथ-साथ मानसिक ताकत का भी खेल है। इस वजह से ही इटली जाने से पहले नन्हीं तजामुल काफी डरी हुई थी और काफी नर्वस थी।
उनके कोच ने उनका हौंसला बढ़ाया और नतीजा सबके सामने हैं। तजामुल की मानें तो अपने डर को दूर करने के लिए उन्होंने देश, कश्मीर और अपने भगवान को याद किया।
तजामुल ने इससे पहले दिल्ली में वर्ष 2015 में हुई नेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप के जूनियर वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था।
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तजामुल के पिता गुलाम मोहम्मद लोन एक प्राइवेट कंपनी में ड्राइवर हैं और अपनी बेटी को एक शानदार स्टूडेंट बताते हैं।
इसके अलावा वह सेना के काम की तारीफ करने से भी पीछे नहीं हटते हैं। उन्होंने बताया कि आज तजामुल की सफलता में सेना का भी योगदान काफी अहम है।